पंजाब वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने केंद्र सरकार से पंजाब को जीएसटी के कारण हुए 50 हजार करोड़ रुपये के वित्तीय नुकसान की तत्काल भरपाई की मांग की। जानिए जीएसटी नीति और मुआवजा विवाद से जुड़ी पूरी खबर।
पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने केंद्र सरकार से जोरदार मांग की है कि वह पंजाब को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के कारण हुए 50 हजार करोड़ रुपये के वित्तीय नुकसान की तुरंत भरपाई करे। यह बात उन्होंने हाल ही में हुई जीएसटी मंत्री समूह की दो दिवसीय बैठक में हिस्सा लेने के बाद मीडिया से बातचीत में कही।
मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि 2017 में लागू हुई जीएसटी प्रणाली के कारण पंजाब को कुल 1,11,045 करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान हुआ है। केंद्र सरकार ने अब तक लगभग 60 हजार करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है, लेकिन अभी भी 50 हजार करोड़ रुपये बकाया हैं। उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू करते समय केंद्र सरकार ने पांच साल तक मुआवजा देने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब यह मुआवजा बंद कर दिया गया है।
वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि पंजाब सरकार जीएसटी दरों को तार्किक बनाने के पक्ष में है, लेकिन राज्यों को हुए नुकसान की भरपाई अनिवार्य होनी चाहिए। उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर राज्यों की वित्तीय व्यवस्था को कमजोर करने का आरोप लगाया और कहा कि केंद्र पंजाब के ग्रामीण विकास फंड और प्रधानमंत्री सड़क योजना के करोड़ों रुपये जारी नहीं कर रहा है।
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चीमा ने कहा कि जीएसटी में अब तक 27 बार संशोधन किए गए हैं और 15 बार दरों में बदलाव हुआ है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत टैक्स दरें लागू करने के प्रस्ताव का भी उल्लेख किया और कहा कि इसके बावजूद राज्यों के वित्तीय घाटे की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की बनी रहेगी।
वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने केंद्र सरकार की जीएसटी नीति की आलोचना करते हुए कहा कि बिना ठोस समाधान के बार-बार बदलाव कर करदाता और राज्यों को असुविधा हो रही है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने हाल ही में बताया कि 31 अक्टूबर तक जीएसटी का कर्ज़ खत्म कर दिया जाएगा और राज्यों के मुआवजा हेतु लगाए गए सिन टैक्स को भी बंद कर दिया जाएगा।
चीमा ने यह भी कहा कि स्वास्थ्य और बीमा पर जीएसटी से छूट देने के साथ-साथ कच्चे तंबाकू पर सिन टैक्स को लगभग 100 प्रतिशत से घटाकर 40 प्रतिशत किया जाना समाज के लिए हानिकारक है और इसे समाज विरोधी कदम बताया।
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