पीएम मोदी के कार्यक्रम में टेंडर नियमों को ताक पर रखकर अधिकारियों ने भाजपा से जुड़े राजनीतिक लोगों को करोड़ों का लाभ पहुंचाया: चैतर वसावा
प्रधानमंत्री मोदी के डेडीयापाड़ा सहित अन्य कार्यक्रमों में आदिवासी लोगों के फंड से करोड़ों रुपये खर्च किए गए। इस मुद्दे पर आज आम आदमी पार्टी के डेडीयापाड़ा विधायक चैतर वसावा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बयान देते हुए कहा कि आदिवासी समाज ने भी गौरव दिवस मनाया और प्रधानमंत्री मोदी ने भी इसे मनाया, इसका हमें कोई विरोध नहीं है। लेकिन अधिकारियों द्वारा करोड़ों रुपये के वाउचर बनाकर जो फिजूलखर्ची की गई है, उस पर हमें आपत्ति है। यह पैसा भाजपा सांसद या पार्टी का नहीं, बल्कि आदिवासी समाज के विकास फंड का पैसा है। विकास पर्व, अमृत महोत्सव, गौरव यात्रा, यूनिटी मार्च में करोड़ों रुपये खर्च कर दिए गए, लेकिन हमारे लोगों का कुपोषण कब खत्म होगा? सिकल सेल की बीमारी कब दूर होगी? आंगनवाड़ियां कब बनेंगी? स्कूल कब बनेंगे? हमारे लोगों को रोजगार कब मिलेगा? इन सभी सवालों का जवाब सरकार को देना चाहिए। भाजपा सांसद मनसुख वसावा ने जिला अध्यक्ष के साथ 10 करोड़ का “कमलम” बनाया, तो वह किसके पैसों से बनाया गया? हम तो छोटी किराए की ऑफिस में बैठकर काम करते हैं, लेकिन भाजपा का कमलम किस पैसे से बना, इसका खुलासा होना चाहिए।
नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में 1340 बसें आवंटित की गई थीं और 20 बसों को हरी झंडी दिखाई गई थी, लेकिन आज वहां एक भी बस नहीं है। बसें कहां गईं, इसकी कोई जानकारी नहीं है। लोग हमसे पूछते हैं कि जब मोदी जी आए थे तब बसें थीं, लेकिन हमारी तरफ एक भी बस क्यों नहीं है। DGVCL को भी ट्राइबल सब-प्लान से 1,16,73,000 रुपये इस कार्यक्रम में खर्च करने के लिए दिए गए। ST निगम विभाग को 6 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। जिन एजेंसियों को भुगतान किया गया है, वे सभी भाजपा से जुड़े लोगों की एजेंसियां हैं। बिना किसी टेंडर के और टेंडर नियमों को ताक पर रखकर अधिकारियों ने करोड़ों रुपये बांटे हैं। दूसरी ओर आंगनवाड़ियों, स्कूलों के कमरों और कुपोषित बच्चों के लिए कोई ग्रांट नहीं है। यह किस विकास की बात हो रही है? प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में खर्च होता है, यह हम भी मानते हैं, लेकिन इस तरह करोड़ों खर्च कर नर्मदा जिले की सारी ग्रांट खत्म कर देना गलत है। हमारी मांग है कि जिन अधिकारियों, ठेकेदारों और भाजपा से जुड़े नेताओं की इसमें भूमिका है, उन सभी की जांच कराई जाए और राशि पुनः जमा करवाई जाए। आदिवासी बच्चों के पैसों को इस तरह खर्च नहीं होने देंगे। जनता के पैसों से दिवाली नहीं मनाने देंगे। जिन अधिकारियों ने ऐसे बिल पास किए हैं, उन पर CID जांच कर एक सप्ताह के भीतर FIR दर्ज की जाए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो नर्मदा जिले के लोगों को साथ लेकर कलेक्टर कार्यालय, एसपी कार्यालय के सामने आंदोलन किया जाएगा। जब हमारे लोग रोजगार के लिए लोन मांगने जाते हैं तो कहा जाता है कि ग्रांट नहीं है, मनरेगा का काम भी बंद बताया जाता है, लेकिन इन तामझामों में करोड़ों रुपये खर्च कर दिए जाते हैं।
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पीएम मोदी के कार्यक्रम में स्थानीय लोगों ने भी टेंडर भरे थे, लेकिन राजनीतिक रसूख वालों को ही काम दिया गया और वह भी 10 गुना ज्यादा भुगतान के साथ। डोम, मंडप और स्टेज का भुगतान तीन चरणों में किया गया, जबकि उतनी राशि में पांच सेट तैयार हो सकते थे। पानी पर 50 लाख और मोबाइल टॉयलेट के नाम पर 2 करोड़ 40 लाख रुपये खर्च किए गए, जबकि इतनी राशि में 1000 शौचालय बनाए जा सकते थे। जनता के पैसे की इस बर्बादी के खिलाफ हम आवाज उठा रहे हैं। हमारी किसी से व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है।
मेरे ऊपर पैसे मांगने के आरोप लगाए जा रहे हैं। इसके जवाब में मैं इतना ही कहूंगा कि सरकार आपकी है, पुलिस आपकी है, अगर कोई सबूत है तो कार्रवाई करें। बिना सबूत आरोप लगाए जाएंगे तो हम कानूनी कार्रवाई करेंगे। इस पूरे मामले में भाजपा के कुछ लोगों ने अधिकारियों को साथ मिलाकर बिल पास करवाए हैं। अगर किसी को मुझ पर शक है तो मेरी कॉल डिटेल निकलवा लें। मुद्दे को भटकाने के लिए मुझ पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं, लेकिन हम आदिवासी समाज के प्रतिनिधि हैं और आदिवासी समाज के विकास के पैसे को उनके तामझाम में खर्च नहीं होने देंगे।
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