हरियाली अमावस्या पर दीपक जलाने के विशेष स्थान और उनके धार्मिक महत्व के बारे में जानें। पितृ प्रसन्नता और समृद्धि के लिए आवश्यक पूजा विधि और सावन अमावस्या की खास परंपराएं।
हरियाली अमावस्या पर यहां जलाए दीपक
सबसे पहले, वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा को पितृयों का स्थान माना गया है। इसलिए इस दिशा में चौमुखी दीपक जलाना बेहद शुभ होता है। यह दीपक पितृओं का आशीर्वाद दिलाता है और घर के वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है। इसके अलावा, ईशान कोण, जो कि ईश्वर की दिशा मानी जाती है, वहां भी दीपक जलाना आवश्यक है। यहां जलाए गए दीपक से न केवल पितृ देवता, बल्कि देवी-देवताओं की भी कृपा प्राप्त होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल के वृक्ष में पितृ देवताओं का वास होता है। इसलिए सावन अमावस्या के दिन पीपल के नीचे दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दौरान पीपल के वृक्ष की सात परिक्रमा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
इसके अलावा, सावन मास में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। शिव जी सभी प्राणियों के रक्षक माने जाते हैं। इसलिए शिव मंदिर में दीपक जलाकर पूजा करने से पितृ देवताओं की प्रसन्नता के साथ-साथ भगवान शिव की भी कृपा मिलती है।
अंत में, किसी पवित्र नदी में दीपदान करना भी अत्यंत शुभ होता है। जल में दीपक डालने से पितृ देवताओं को तृप्ति मिलती है और जीवन में समृद्धि व खुशहाली आती है। यह परंपरा मन को शांति और आत्मिक सुकून देती है।
इस प्रकार, हरियाली अमावस्या पर दक्षिण दिशा, ईशान कोण, पीपल वृक्ष के पास, शिव मंदिर और पवित्र नदी में दीपक जलाना बेहद शुभ माना जाता है। इन स्थानों पर दीपक जलाने से पितृ प्रसन्न होकर आपके जीवन में खुशहाली, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना पूरी करते हैं। इस दिन की पूजा और तर्पण को सादगी से और श्रद्धा के साथ करना चाहिए ताकि पितरों का आशीर्वाद हमेशा बना रहे।
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