Atishi ने AAP की सबसे बड़ी बगावत में ‘यूटर्न’ मार जीता था केजरीवाल का भरोसा, इनाम 9 साल बाद

अरविंद केजरीवाल ने Atishi को अपना उत्तराधिकारी चुनकर दिल्ली की नई मुख्यमंत्री का नाम फाइनल कर दिया है। अरविंद केजरीवाल ने खुद विधायक दल की बैठक में उनका नाम प्रस्ताव किया।

Atishi को दिल्ली की अगली मुख्यमंत्री के रूप में अरविंद केजरीवाल ने चुना है। अरविंद केजरीवाल ने खुद विधायक दल की बैठक में उनके नाम का प्रस्ताव रखा, और विधायकों ने आतिशी को सर्वसम्मति से अपना नेता चुना। 2022 में पहली बार विधायक और 2023 में पहली बार मंत्री बनने वाली आतिशी ने शानदार ढंग से यह पद हासिल किया है। कभी योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण की करीबी रहीं आतिशी ने आम आदमी पार्टी की सबसे बड़ी बगावत में ‘यूटर्न’ मारकर केजरीवाल का भरोसा जीता था।

वर्ष 2015 है। 2012 में शुरू हुई पार्टी को तीन साल बाद ही एक बड़ा झटका लगा। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण पार्टी के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल से विवाद हुआ था। पार्टी की इस विद्रोह के दौरान, आतिशी को पार्टी का प्रवक्ता पद से हटा दिया गया। इसका कारण यह था कि वे योगेंद्र यादव के करीबी थे। कहा जाता है कि यादव ही उन्हें आम आदमी पार्टी में लेकर आए थे।

आतिशी ने योगेंद्र यादव को छोड़कर केजरीवाल पर भरोसा जताया

आतिशी ने उस समय एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया, जो नौ वर्षों बाद उनके लिए बड़ा झटका साबित हुआ। योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के खिलाफ आतिशी ने एक पत्र लिखा था। बाद में, वे केजरीवाल के नेतृत्व पर विश्वास करते हुए पार्टी के लिए काम करती रहीं। धीरे-धीरे वे केजरीवाल का भरोसा जीतते गए। 2020 में उन्हें कालका जी सीट से पहली बार विधानसभा का टिकट मिला। वह चुनाव जीतकर विधानसभा में शामिल हुईं। पार्टी ने दोबारा उन्हें मीडिया के सामने अपना प्रमुख चेहरा भी बनाया। मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के जेल से इस्तीफा देने के बाद आतिशी को केजरीवाल की कैबिनेट में शामिल किया गया। केजरीवाल ने उन्हें शिक्षा और बिजली समेत 18 विभागों की जिम्मेदारी सौंपी।

केजरीवाल ने पहले ही संकेत दिया था

जब वह जेल में था, तो केजरीवाल ने एलजी को एक पत्र लिखा कि आतिशी को 15 अगस्त को दिल्ली में तिरंगा फहराने का मौका दिया जाए। जेल नियमों के कारण यह पत्र एलजी तक नहीं पहुंचा। एलजी वीके सक्सेना ने भले ही झंडा फहराने का मौका केजरीवाल के मंत्री आतिशी को दिया, लेकिन दिल्ली को यह संकेत मिल चुका था कि आतिशी का कद अब दिल्ली सरकार में सबसे ऊपर है।

आतिशी ही क्यों?

दिल्ली की नई मुख्यमंत्री पद के लिए कम से कम आधा दर्जन नामों की चर्चा हुई। हालाँकि, उम्मीद के अनुसार, आतिशी को ही यह काम दिया गया। इसके कई कारण हैं। महिला होने के साथ प्रशासनिक अनुभव भी आतिशी के पक्ष में गया। बाद में केजरीवाल को जेल में डालने के बाद उन्होंने सरकार और संगठन में सक्रिय भागीदारी की, जिससे वे पार्टी का प्रमुख चेहरा बनकर उभरी। पार्टी ने आतिशी की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद दिल्ली सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में जो कुछ किया है, उसे सबसे बड़ी उपलब्धि बताया है।

 

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