जीवन में अगर बड़े बदलाव चाहिए तो चाणक्य की इन बातों को अपनाइए

चाणक्य नीति आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) की नीतियों का संग्रह है, जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है. चाणक्य नीति द्वारा मित्र-भेद से लेकर दुश्मन तक की पहचान और जीवन में सफल होने के संबंध में अहम बाते बताई गई हैं. आचार्य चाणक्य एक कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में जाने जाते हैं. उन्‍होंने नीति शास्त्र में अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर जीवन की हर परिस्थिति का सामना करने और सुख-दुख में विचलित न होने के लिए कई महत्‍वपूर्ण बातें बताईं और सफलता (Success) पाने के भी कई मंत्र बताए हैं. चाणक्य नीति के माध्‍यम से उन्‍होंने कहा है कि जिनके पास विद्या नहीं है, वे उस फूल के समान हैं जो दिखने में भले ही सुंदर हो, मगर उसमें सुगंध नहीं है. आप भी जानिए आचार्य चाणक्‍य की ये खास बातें-

जैसा सोचो वैसे ही विचार बनते हैं
नीति शास्त्र में आचार्य चाणक्‍य ने बताया है कि दीपक अंधेरे को खत्म करता है, इसीलिए काला धुआं बनाता है. इसी प्रकार हम जिस प्रकार का अन्न खाते हैं माने सात्विक, राजसिक, तामसिक उसी प्रकार के विचार उत्पन्न होते हैं.

संपत्ति केवल पात्र को ही देंना चाहिए
आचार्य चाणक्‍य महाराज कहते हैं कि विद्वान पुरुष अपनी संपत्ति केवल पात्र को ही दें और दूसरो को कभी न दें. जो जल बादल को समुद्र देता है वह बहुत ही मीठा (SWEET) होता है. बादल वर्षा करके वह जल पृथ्वी (EARTH) के सभी चल-अचल जीवों को देता है और फिर से वापस उसे समुद्र (SEA) को लौटा देता है.

लालच एक रोग के समान है
चाणक्‍य नीति कहती है कि एक संयमित मन के बराबर दुसरा कोई तप नहीं. है संतोष के समान कोई दूसरा सुख नहीं. लोभ (लालच) के समान कोई रोग नहीं और इसी तरह दया के समान कोई गुण नहीं है।

विद्या नहीं तो जीवन व्‍यर्थ है
आचार्य चाणक्‍य जी कहते हैं कि जो लोग दिखने में सुंदर होते हैं, जवान होते है, लेकिन अगर उनके पास विद्या नहीं है, तो वे बेकार हैं. वे तो पलाश के उस फूल के समान हैं, जो दिखते तो सुंदर हैं, पर उनमें सुगंध बिल्कुल नहीं होती.

विद्या दिलाती है हमें सम्‍मान
आचार्य चाणक्य की नीति शास्त्र में कहा गया है कि यदी विद्वान व्यक्ति लोगों से सम्मान पाता है. तो विद्वान उसकी विद्वत्ता के लिए हर जगह सम्मान पाता है. यह बिल्‍कुल सच बात है कि विद्या व्‍यक्ति को हर जगह सम्‍मान दिलाती है व्यक्ति का सबसे बड़ा धन विध्या ही है।

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