इंदिरा एकादशी 2025 पर शिवलिंग पूजन का रहस्य और विष्णु व्रत में शिव अर्चन का महत्व जानें। पितृदोष निवारण और मोक्ष के लिए इस दिन कैसे करें पूजा और व्रत।
इंदिरा एकादशी 2025 पर शिवलिंग पूजन: इंदिरा एकादशी का व्रत पारंपरिक रूप से भगवान विष्णु को समर्पित होता है, लेकिन इस एकादशी का महत्व कुछ खास है क्योंकि यह पितृपक्ष के दौरान आती है। इस दिन विष्णु पूजा के साथ-साथ शिवलिंग पूजन भी किया जाता है, जो पितृदोष निवारण और मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यंत आवश्यक माना जाता है। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों इस व्रत में शिव अर्चन का विशेष स्थान है।
शिव और विष्णु का गहरा संबंध
धर्मशास्त्रों के अनुसार भगवान शिव और विष्णु एक-दूसरे के पूरक देवता हैं। विष्णु की पूजा शिव के बिना अधूरी मानी जाती है और शिव की पूजा भी विष्णु के बिना पूर्ण नहीं होती। इंदिरा एकादशी के दिन विष्णु की कृपा से पितरों का तर्पण होता है, लेकिन पितृदोष से मुक्ति शिव की कृपा से ही संभव है। यही कारण है कि इस दिन शिवलिंग पूजन का विधान भी जुड़ा हुआ है।
also read:- इंदिरा एकादशी 2025: पितृ श्राद्ध और व्रत का दुर्लभ…
शिवलिंग पूजन क्यों जरूरी है?
गरुड़ पुराण और पद्म पुराण में उल्लेख है कि पितरों की आत्मा तभी शांति पाती है जब शिव और विष्णु दोनों की पूजा की जाए। शिव को पितृनाथ कहा गया है, अर्थात् पितरों का स्वामी, जबकि विष्णु को मोक्षदाता माना जाता है। इसीलिए इंदिरा एकादशी पर शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र आदि अर्पित करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।
पूजा विधि
सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
भगवान विष्णु की पूजा करें।
शिवलिंग का अभिषेक करें – जल, गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद से।
बेलपत्र, धतूरा और भस्म चढ़ाएं।
विष्णु को तुलसी और पीले फूल अर्पित करें।
पितरों का तर्पण करें और जरूरतमंदों को दान दें।
रहस्य और लाभ
इंदिरा एकादशी पर शिव और विष्णु की संयुक्त पूजा से पितरों को शांति मिलती है और पितृदोष दूर होता है। साथ ही, यह व्रत जीवन में आर्थिक समृद्धि, संतति सुख और खुशहाली भी लेकर आता है। इस दिन का पालन भक्तों के लिए मोक्ष प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण मार्ग बन जाता है।
Visit WhatsApp Channel: https://whatsapp.com/channel/0029Vb4ZuKSLSmbVWNb1sx1x
