आज है जया एकादशी, व्रत रखने से मिलेगी पापों से मुक्ति

हिंदू पंचाग के अनुसार हर महीने में दो एकादशी का व्रत रखने का विधान है। शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में एक-एक एकादशी आती है। एक साल में अमूमन 24 एकादशी पड़ती है। आपको बतादें कि हर चौथे साल जब पुरुषोत्तम मास पड़ता है, यानी तेरह माह का साल होता है तब तब दो अतिरिक्त एकादशी पड़ती है। उस साल फिर 26 एकादशी का व्रत रखना होता है।

सभी एकादशी का होता है विशेष महत्व
वैसे तो सभी एकादशी का अपना-अपना महत्व है। इस साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 12 फरवरी को पड़ रही है, जिसे जया एकादशी कहते हैं। जया एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है।

व्रत रखने वालों को मिलती है स्वर्ग में जगह
जया एकादशी का व्रत रखने वालों को स्वर्ग में जगह मिलती है। सांसारिक जीवन में सुख.समृद्धि बढ़ती है। भगवान विष्णु की कृपा से परिवार में शांति, रिश्तों में माधुर्यता का वास होता है। मृत्यु के बाद भूत, पिशाच योनि में जाने से व्यक्ति बच जाता है। शुक्रवार को दोपहर 2 बजे से जया एकादशी शुरू हुई है, यह शनिवार की शाम 4.27 बजे तक रहेगी। चूंकि सूर्योदय के समय विद्यमान रहने वाली तिथि को महत्व दिया जाता है इसलिए 12 फरवरी को एकादशी का व्रत रखा जाएगा। दिनभर व्रत रखकर शाम को भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करें और 13 फरवरी को सुबह 7 से 9 बजे के बीच व्रत का पारण करें।

जानें व्रत की कथा का महत्व
जया एकादशी कथा का महत्व बताते हुए ग्रंथों में लिखा है कि देवराज इंद्र अप्सराओं के साथ विहार कर रहे थे। उनके साथ गंधर्व पुष्पदंत, कन्या पुष्पवती, चित्रसेन, उसकी पत्नी मालिनी, पुत्र पुष्पवान और माल्यवान भी थे। गंधर्व पुष्पदंत की कन्या पुष्पवती और माल्यवान एक-दूजे को पसंद करने लगे। नृत्य-गान करते समय मन नहीं लगा, तब इंद्र नाराज हुए और श्राप दिया कि दोनों पृथ्वी लोक में पिशाच बनकर रहो। दोनों दुखी रहने लगे। माघ मास में जया एकादशी के दिन दोनों भूखे रहे, रातभर सो नहीं सके। अगले दिन सूर्याेदय पर उन्हें पिशाच योनि से मुक्ति मिल गई। दोनों इंद्र के दरबार में पहुंचे और एकादशी के प्रभाव का महत्व बताया। ऐसी मान्यता है कि जया एकादशी का व्रत करने से नीच योनि की प्राप्ति नहीं होती।

Exit mobile version