Jud sheetal 2025: मिथिला में आज भी जुड़ शीतल पर्व उत्साहपूर्वक और पूरी तरह से परंपरागत रूप से मनाया जाता है। मिथिला में जुड़ शीतल दिनों में चूल्हा नहीं जलाया जाता है।
Jud sheetal 2025: मिथिला में आज भी जुड़ शीतल पर्व उत्साहपूर्वक और पूरी तरह से परंपरागत रूप से मनाया जाता है। मिथिला में जुड़ शीतल दिनों में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। उस दिन लोगों को बासी भोजन मिलता है। 15 अप्रैल को मिथिला का परंपरागत त्योहार जुड़ शीतल मनाया जाएगा। पूरा समाज जुड़ शीतल पर जल की पूजा करता है और शीतल देवता से शीतलता की मांग करता है। शब्द “जुड़” जुड़ाव से बना है। फलने-फूलने भी इसका अर्थ है। यह पर्व नई फसलों (जैसे गेहूं, चना) की कटाई से भी जुड़ा हुआ है। यह पर्व भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस समय आम के फल बड़े होने लगते हैं।
मिथिला की संस्कृति प्रकृति से घिरे हुए शीतल पर्व का प्रतीक है। इस उत्सव के कई रूप हैं। इसके बदले में पर्यावरण और जल संरक्षण के उपाय किए जाते हैं। पेड़-पौधों की देखभाल से लेकर जलस्रोतों की शुद्धि शामिल है। एक दिन पूरे मिथिला में चूल्हा बंद करके तापमान कम करने का प्रयास किया जाता है।
सतुआन पर्व के दिन घर की महिलाएं एक दिन पूर्व संध्या या रात्रि में बड़ी-भात, सहिजन की सब्जी, आम की चटनी बनाती हैं। बाद में, जुड़ शीतल दिन स्नान करके अपने सभी देवता को बासी बड़ी, चावल, दही और आम की चटनी देकर चूल्हे का पूजन करते हैं। साथ ही, परिवार को दुख से छुटकारा दिलाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती है। इसके बाद, परिवार के सभी सदस्य एक साथ भोजन प्राप्त करते हैं।जुड़ शीतल यानी आपका जीवन गर्म रहता है। आज भी मिथिलांचल में इस परंपरा को घर-घर निभाया जाता है। इस दिन देवी-देवता की पूजा करने के बाद ब्राह्मण भोज कराया जाता है। इस दिन अनाज, फल एवं सब्जी दान देने की भी परंपरा है।