जानिए क्यों हर महिला को फर्टिलिटी साइकिल की जानकारी होना है बेहद ज़रूरी

हर महिला के लिए फर्टिलिटी साइकिल को समझना प्रजनन स्वास्थ्य और गर्भधारण की योजना के लिए बेहद जरूरी है। जानिए इसके चार चरण, फायदे और कब लेना चाहिए डॉक्टर की सलाह।

आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में महिलाएं अक्सर अपने शरीर के अहम संकेतों को नजरअंदाज कर देती हैं। फर्टिलिटी साइकिल उनमें से एक है, जिसकी सही समझ न केवल गर्भधारण (pregnancy) की संभावनाओं को बेहतर करती है, बल्कि यह महिला के हार्मोनल संतुलन और प्रजनन स्वास्थ्य को भी दर्शाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि महिलाएं अपने फर्टिलिटी साइकिल के चार प्रमुख चरणों को समझ लें, तो वे न केवल अपने शरीर से बेहतर जुड़ाव महसूस कर सकती हैं, बल्कि गर्भधारण और महिलाओं से जुड़ी कई समस्याओं से समय रहते बचाव भी कर सकती हैं।

क्या होता है फर्टिलिटी साइकिल?

फर्टिलिटी साइकिल यानी महिला के मासिक धर्म चक्र से जुड़ा एक ऐसा जैविक चक्र जो उसके गर्भधारण की संभावनाओं को तय करता है। यह चार मुख्य चरणों में बंटा होता है – मासिक धर्म (Menstruation), फॉलिक्युलर फेज (Follicular Phase), ओव्यूलेशन फेज (Ovulation Phase) और ल्यूटियल फेज (Luteal Phase)।

फर्टिलिटी साइकिल के चार चरण और उनके प्रभाव:

1. मासिक धर्म (Menstruation)

यह फेज फर्टिलिटी साइकिल की शुरुआत को दर्शाता है। इसमें 3-7 दिनों तक योनि से रक्तस्राव होता है। इस समय पेट में दर्द, थकान और मूड स्विंग्स जैसी समस्याएं आम होती हैं। हर महिला का अनुभव अलग हो सकता है।

2. फॉलिक्युलर फेज (Follicular Phase)

मासिक धर्म के बाद यह फेज शुरू होता है। इस दौरान अंडाशय (ovary) में अंडा बनना शुरू होता है और फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन (FSH) का स्तर बढ़ता है। अंडा धीरे-धीरे परिपक्व होने लगता है।

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3. ओव्यूलेशन फेज (Ovulation Phase)

फर्टिलिटी साइकिल का सबसे अहम और फर्टाइल चरण यही होता है। इस फेज में अंडाशय से एक परिपक्व अंडा निकलता है, जो 12 से 24 घंटों तक जीवित रहता है। यदि इस समय सेक्स होता है, तो गर्भधारण की संभावना सबसे अधिक होती है। इस फेज को ट्रैक करने के लिए ओव्यूलेशन किट का प्रयोग किया जा सकता है।

4. ल्यूटियल फेज (Luteal Phase)

यह चरण ओव्यूलेशन के बाद आता है, जिसमें शरीर गर्भधारण के लिए खुद को तैयार करता है। अगर फर्टिलाइज़ेशन नहीं होता है, तो यह फेज मासिक धर्म के साथ खत्म हो जाता है। इस दौरान शरीर में प्रोजेस्ट्रोन का स्तर ऊँचा होता है।

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