ललिता सप्तमी का धार्मिक महत्व
ललिता सप्तमी 2025 का व्रत देवी ललिता को समर्पित है, जो राधा-कृष्ण की प्रिय सखी मानी जाती हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से दांपत्य जीवन में शांति, प्रेम और समृद्धि आती है। नवविवाहित जोड़ों के लिए यह व्रत विशेष रूप से फलदायक होता है क्योंकि इससे वैवाहिक जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास मजबूत होता है।
पुराणों में देवी ललिता को शक्ति स्वरूपा माना गया है। उनका पूजन करने से परिवार में सुख-समृद्धि, संतान सुख और वैवाहिक जीवन में मधुरता बनी रहती है। इसलिए यह व्रत नए दंपत्तियों के लिए वरदान समान है।
ललिता सप्तमी 2025 की पूजा विधि
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व्रती सुबह जल्दी उठकर शुद्ध स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।
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पूजा स्थल को स्वच्छ कर राधा-कृष्ण और देवी ललिता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
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जल लेकर व्रत का संकल्प लें।
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देवी ललिता को लाल रंग के वस्त्र, फूल, श्रृंगार सामग्री और मिठाई अर्पित करें।
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तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है।
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मंत्र ‘ॐ ह्रीं ललितायै नमः’ का जाप करें। साथ ही राधा-कृष्ण के नाम का भी जप कर सकते हैं।
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पूजा के अंत में देवी ललिता, राधा और कृष्ण की आरती करें।
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दिनभर व्रत रखें और शाम को फलाहार से व्रत खोलें।
ललिता सप्तमी और राधा अष्टमी का संबंध
ललिता सप्तमी राधा अष्टमी से एक दिन पहले आती है। इस दिन देवी ललिता का पूजन कर भक्त राधा अष्टमी की तैयारी करते हैं। यह दोनों पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से जुड़े हैं, बल्कि आपसी प्रेम और विश्वास को भी मजबूत करते हैं। नवविवाहित जोड़ों के लिए यह व्रत आपसी समझ और स्नेह बढ़ाने का अवसर देता है, जिससे उनका वैवाहिक जीवन खुशहाल और सौभाग्यशाली बनता है।
ललिता सप्तमी 2025 तारीख और समय
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व्रत तिथि: 30 अगस्त 2025, शनिवार
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सप्तमी तिथि प्रारंभ: 29 अगस्त 2025 को शाम 6:30 बजे (लगभग)
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सप्तमी तिथि समाप्त: 30 अगस्त 2025 को शाम 8:00 बजे (लगभग)
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