विवाहितों को जानना चाहिए Mangalsutra से जुड़ी ये 10 बातें
Mangalsutra से जुड़ी ये 10 बातें
Mangalsutra, सोने का पैंडेट और काले मोतियों से बना एक धागा है। स्त्री के लिए मंगलसूत्र सुहाग की निशानी है और उसके वैवाहिक जीवन में विशेष महत्व रखता है।
Mangalsutra का इतिहास बहुत पुराना है। यह पौराणिक कहानियों में बताया गया है। मंगलसूत्र भी मां पार्वती और शिवजी से जुड़ा हुआ है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने हाल ही में अपने भाषण में मंगलसूत्र का उल्लेख किया, जिससे यह चर्चा में आ गया।
हर विवाहित महिला को Mangalsutra के बारे में पता होना चाहिए और इसका महत्व समझना चाहिए। क्योंकि यह प्रेम का संकेत है। हिंदू धर्म में भी मंगलसूत्र बहुत महत्वपूर्ण है। विवाहित जीवन को सुरक्षित रखने के लिए मंगलसूत्र एक आभूषण भी है।
मंगलसूत्र का अर्थ
दो शब्द हैं मंगलसूत्र और सूत्र। इसमें मंगल का अर्थ है “पवित्र” और सूत्र का अर्थ है “हार”, जिसका अर्थ है “पवित्र हार।” विवाहिताएं विवाह के बाद मंगलसूत्र पहनती हैं ताकि वे अपने पति को लंबे जीवन, जीवनरक्षा और खुशहाल जीवन जी सकें। यही कारण है कि हर विवाहित स्त्री को मंगलसूत्र से जुड़ी इन बातों का पता होना चाहिए।
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हर विवाहित हिंदू महिला के गले में मंगलसूत्र होता है, जो उसके सुहाग की निशानी है, उत्तर से दक्षिण तक। लेकिन महत्वपूर्ण सवाल यह है कि मंगलसूत्र, जिस पर राजनीतिक बहस चल रही है, आखिर कहां से आया है, इसका धार्मिक या पौराणिक महत्व क्या है, और स्त्रियों को इसे पहनना क्यों और कैसे चाहिए। ये सभी जानें:
मंगलसूत्र से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें
- शास्त्रों के अनुसार, हिंदू धर्म में Mangalsutra शिव-पार्वती से शुरू हुआ। शिवजी का विवाह पार्वती से हो रहा था, उन्हें सती की याद आने लगी. उन्हें याद आता था जब सती ने हवन की आग में कूदकर अपनी जान दे दी। इसलिए भगवान शिव ने पार्वती को सुरक्षित रखने के लिए एक पीले धागे में काले मोतियों का एक सूत्र लगाया। काले मोतियों और पीला भाग मां पार्वती का प्रतीक थे। हिंदू धर्म में शादी के बाद मंगलसूत्र पहनने की परंपरा इसके बाद से शुरू हुई।
- Mangalsutra वैवाहिक जीवन को बचाता है। आदि गुरु शंकराचार्य की पुस्तक, सौदर्य लहरी, मंगलसूत्र का भी जिक्र करती है।
- मंगलसूत्र के बारे में कई मान्यताएं हैं। यह भी माना जाता है कि मंगलसूत्र में नौ मनके हैं, जो ऊर्जा का प्रतीक हैं और मां भगवती के नौ रूपों का प्रतीक हैं। 9 मनकों में पृथ्वी, जल, वायु और अग्नि शामिल हैं।
- वहीं इतिहासकारों का कहना है कि मंगलसूत्र पहनना छठी शताब्दी से शुरू हुआ था। क्योंकि मोहन जोदाड़ों की खुदाई में भी इसकी पुष्टि हुई है। माना जाता है कि मंगलसूत्र पहले दक्षिण भारत में पहने जाते थे. इसके बाद यह धीरे-धीरे पूरे भारत में पहना जाना शुरू हुआ। विवाह के बाद इसे पहनना अब भारत ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी रिवाज है।
- हिंदू धर्म में शादी करने के बाद हर स्त्री गले में मंगलसूत्र लगाती है। पति की लंबी आयु और सुहाग दोनों इससे जुड़े हुए हैं। यह भी पति-पत्नी के रिश्ते को अच्छी तरह से देखने से बचाता है। लेकिन मंगलसूत्र खोना या टूटना बहुत बुरा होता है।
- पुरुषों के मंगलसूत्र पहनने से कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत होते हैं या मंगल दोष दूर होता है।
सोने का मंगलसूत्र सबसे आम है। ज्योतिषियों ने सोने को बृहस्पति से जोड़ा है और गुरु एक खुशहाल और खुशहाल शादी के कारक ग्रह हैं। वहीं सोने से सूर्य भी मजबूत होता है। - Mangalsutra पर मौजूद काली मोतियों का संबंध शनिग्रह से है। सूर्य भी स्थायित्व का प्रतीक है। ऐसे में सोने और काली मोतियों से बना मंगलसूत्र पहनने से सूर्य, गुरु और शनि का शुभ प्रभाव वैवाहिक जीवन पर पड़ता है।
- आजकल कई तरह के मंगलसूत्र फैशन बनने लगे हैं। लेकिन महिलाओं को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मंगलसूत्र में काली मोतियां और सोने का पैंडेट जरूर होना चाहिए। साथ ही, मंगलसूत्र छिपाकर कभी नहीं पहनना चाहिए।
- विवाहित महिलाओं को यह भी जानना चाहिए कि हिंदू परंपरा में पति के जीवित रहते हुए Mangalsutra नहीं उतारने का कोई नियम नहीं है। यह आपके गले में सूतक, पातक, ग्रहण या माहवारी के दौरान भी पहन सकते हैं। यह कभी खराब नहीं होता।
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