मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हिंदी भाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हिंदी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है, अंग्रेज़ी और मंदारिन के बाद। उन्होंने मातृभाषा को मां से भी ऊपर बताया और कहा कि हिंदी हमारी संस्कृति और भावनाओं का सशक्त माध्यम है।
भोपाल के रवींद्र भवन में आयोजित भारतीय मातृभाषा अनुष्ठान कार्यक्रम में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हिंदी साहित्य और लोकव्यापीकरण में योगदान देने वाले देश-विदेश के 10 प्रमुख साहित्यकारों को राष्ट्रीय हिंदी भाषा सम्मान से सम्मानित किया। इस अवसर पर कई नई साहित्यिक पुस्तकों का भी विमोचन हुआ। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ की ओर से “वॉव अवार्ड एशिया” की टीम द्वारा गोल्ड अवार्ड से सम्मानित किया गया। साथ ही, स्वदेशी जागरण अभियान के तहत “Be इंडियन, Buy इंडियन, हमारी-लक्ष्मी-हमारे पास” अभियान की भी शुरुआत की गई। आरएनटीयू के विश्व हिंदी ओलंपियाड और विश्वरंग के पोस्टर का भी लोकार्पण किया गया।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, “भारत में सर्वाधिक मातृभाषा हिंदी है। यह भाषा हमारी सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हिंदी का वैश्विक स्तर पर सम्मान बढ़ा है।”
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कार्यक्रम में संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए चल रहे प्रयासों की जानकारी दी। आरएनटीयू के कुलगुरु डॉ. संतोष चौबे ने विश्व हिंदी ओलंपियाड के विस्तार और सफलता पर प्रकाश डाला। अपर मुख्य सचिव संस्कृति एवं पर्यटन शिवशेखर शुक्ला ने कहा कि यह समारोह हिंदी भाषा के सम्मान का उत्सव है और प्रदेश सरकार हिंदी के प्रचार-प्रसार में अग्रणी भूमिका निभा रही है।
राष्ट्रीय हिंदी भाषा सम्मान से सम्मानित साहित्यकार:
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राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान: प्रशांत पोल (जबलपुर), लोकेन्द्र सिंह राजपूत (भोपाल)
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राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान: रीता कौशल (ऑस्ट्रेलिया), डॉ. वंदना मुकेश (इंग्लैंड)
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राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान: डॉ. इंदिरा गाजिएवा (रूस), पदमा जोसेफिन वीरसिंघे
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राष्ट्रीय गुणाकर मुले सम्मान: डॉ. राधेश्याम नापित (शहडोल), डॉ. सदानंद दामोदर सप्रे (भोपाल)
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राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान: डॉ. के.सी. अजय कुमार (तिरुवनंतपुरम), डॉ. विनोद बब्बर (दिल्ली)
नवीन साहित्यिक पुस्तकों का लोकार्पण:
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भारतीय भाषा आलोक – राजेश्वर त्रिवेदी
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समाज की भाषा का संकल्प – विजयदत्त श्रीधर
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भोजपुरी प्रतिभाएं – डॉ. धर्मेंद्र पारे
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शिवगीता, दत्तात्रेयगीता, कपिलगीता सहित अन्य – श्री बंकिमचन्द्रम चट्टोपाध्याय
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श्रीराधा द्वापर युग की महानायिका – अशोक शर्मा
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लोक में वेदांत – डॉ. सरोज गुप्ता
यह कार्यक्रम हिंदी भाषा को बढ़ावा देने और उसकी गरिमा को स्थापित करने में एक महत्वपूर्ण कदम है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सभी सम्मानित साहित्यकारों को बधाई दी और हिंदी को विश्व में एक सशक्त पहचान दिलाने के लिए निरंतर प्रयास करने का आह्वान किया।
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