नरक चतुर्दशी 2025: कब और क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी? जानिए इसका धार्मिक महत्व और पूजा विधि

नरक चतुर्दशी 2025 कब और क्यों मनाई जाती है? जानिए इसके धार्मिक महत्व, पूजा विधि और शुभ तिथि के बारे में पूरी जानकारी। इस त्यौहार से जुड़ी विशेष बातें पढ़ें।

नरक चतुर्दशी 2025: हर साल कार्तिक महीने में मनाया जाने वाला त्योहार नरक चतुर्दशी हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है और भगवान श्रीकृष्ण की विजय और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर नामक दानव का वध करने की कथा प्रचलित है, जिसे याद करके इस त्यौहार को विशेष रूप से मनाया जाता है। आइए जानें नरक चतुर्दशी कब मनाई जाती है, इसका महत्व क्या है और इसे कैसे मनाया जाता है।

नरक चतुर्दशी कब मनाई जाती है?

नरक चतुर्दशी हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि दीवाली पर्व से एक दिन पहले आती है। सन 2025 में नरक चतुर्दशी 2 नवंबर को पड़ रही है। इस दिन को स्थानीय रूप से छोटी दिवाली या कालभैरव पूजा के रूप में भी मनाया जाता है। इस तिथि को लोग भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना के साथ-साथ घर की सफाई करते हैं और रात को दीप जलाकर बुराई पर अच्छाई की विजय का जश्न मनाते हैं।

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नरक चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है?

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, नरक चतुर्दशी का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दानव नरकासुर के वध की याद में मनाया जाता है। नरकासुर ने तीनों लोकों में आतंक मचा रखा था और सोलह हजार स्त्रियों को बंदी बना लिया था। भगवान कृष्ण ने अपने युद्ध कौशल और वीरता से नरकासुर को हराकर इन बंदी स्त्रियों को मुक्त कराया। इस विजय का उत्सव नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है।

इस दिन बुराई का अंत और अच्छाई की जीत का संदेश छिपा हुआ है। साथ ही यह पर्व जीवन से अंधकार और बंधनों को दूर करने का प्रतीक भी माना जाता है।

नरक चतुर्दशी का धार्मिक महत्व

नरक चतुर्दशी को हिन्दू धर्म में विशेष महत्व प्राप्त है क्योंकि यह दिन आत्मशुद्धि, पापों की क्षमा और जीवन में सुख-शांति लाने का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा, व्रत और स्नान से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं और जीवन में नई शुरुआत होती है।

इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर घर की सफाई करना, शुद्ध जल या अपामार्ग युक्त जल से स्नान करना शुभ माना जाता है। खासकर अपामार्ग के साथ स्नान करने से पुराने पाप मिटते हैं और व्यक्ति तन-मन से निर्मल हो जाता है। इसके बाद भगवान कृष्ण की भक्ति और पूजा से मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।

नरक चतुर्दशी पर करने योग्य विशेष क्रियाएं

स्नान: प्रातःकाल सूर्योदय से पहले अपामार्ग युक्त जल से स्नान करें।

पूजा: भगवान श्रीकृष्ण और देवी लक्ष्मी की पूजा करें।

घर की सफाई: घर को पूरी तरह से साफ करें ताकि बुराई दूर हो।

दीप जलाएं: रात को घर में दीपक जलाएं, जिससे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

व्रत रखें: इच्छाशक्ति अनुसार निर्जला या अन्नव्रत रख सकते हैं।

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