Paitrk Paksh :आज पितृपक्ष का तीसरा श्राद्ध होगा; कृपया मुहूर्त और श्राद्ध की विधि को याद रखें।

Paitrk Paksh :हिंदू धर्म में पितृ पक्ष बहुत महत्वपूर्ण है।

 

Paitrk Paksh : शास्त्रों में कहा गया है कि जिस व्यक्ति की मृत्यु किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष को हुई है, उसका श्राद्ध तीसरे दिन किया जाएगा। जानें श्राद्ध विधि और तर्पण मुहूर्त..।

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष बहुत महत्वपूर्ण है। भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक हर साल पितृ पक्ष होता है। इन 16 दिनों में पितरों को श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण किया जाता है। इस दौरान किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है, साथ ही खरीद-बेचना भी अशुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, पितर पितृ पक्ष में पृथ्वी पर ही रहते हैं। यही कारण है कि उनका तर्पण या पिंडदान शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, पितरों को श्राद्ध और तर्पण मृत्यु तिथि के हिसाब से किया जाता है। 20 सितंबर को श्राद्ध का तीसरा दिन होगा। जानें श्राद्धकर्म और तर्पण करने का शुभ मुहूर्त

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मरने वाले पिता का श्राद्ध पितृ पक्ष के तीसरे दिन किया जाता है। तीज श्राद्ध भी इसका नाम है। तृतीय श्राद्ध को करने के लिए कुतुप, रौहिण, अपराह्न आदि शुभ मुहूर्त हैं।

श्राद्ध के तीसरे दिन की तिथि है, और तृतीया तिथि शुभ मुहूर्त है। तीसरी तिथि 20 सितंबर 2024 को सुबह 12:39 बजे समाप्त होगी। 20 सितंबर को कुतुप मुहूर्त सुबह 11:48 से दोपहर 12:37 तक 49 मिनट और रौहिण मुहूर्त दोपहर 12:37 से दोपहर 01:25 तक 49 मिनट चलेगा। 02:00 PM से 03:52 PM तक दो घंटे 26 मिनट

श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण करना बहुत शुभ माना जाता है, जिसे श्राद्ध कर्म विधि कहते हैं। इसके लिए एक लोटे में जल डालकर तिल, अक्षत, जौ और अन्य सामग्री मिलाएं। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके हाथों में कुश रखकर अंगूठे से जल डालें। इसके साथ ही इस मंत्र को अपने पिता का स्मरण करते हुए बोलें।

अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम्॥
सदा नमस्यामि तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्॥

शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध के दौरान अपने पिता को सात्विक भोजन दें। इसे पितरों और ब्राह्मणों को भी दें। पितरों का नाम लेकर श्राद्ध करें। इसके बाद पूजा करें। फिर आग में गाय का दूध, घी, खीर, दही आदि अर्पित करें। चावल का पिंड भी अर्पित करें।

पितरों को श्राद्ध और तर्पण करने के बाद कुत्ते, कौआ, चींटी और गाय को भोजन दें। इसके अलावा ब्राह्मणों को भोजन भी दें।

डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी सटीक या विश्वसनीय नहीं है। आप ये जानकारी ज्योतिषियों, पंचांगों, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से प्राप्त की है। हमारा लक्ष्य सिर्फ सूचना देना है। इसे सही और सिद्ध नहीं कर सकते। किसी भी प्रकार का इस्तेमाल करने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह लें।

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