पैंक्रियाटिक कैंसर का खतरा बढ़ाता है अधिक शराब सेवन। जानें इस जानलेवा बीमारी के शुरुआती लक्षण, कारण और प्रभावी बचाव के उपाय। समय रहते पहचानें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।
पैंक्रियाटिक कैंसर, जिसे ‘साइलेंट किलर’ भी कहा जाता है, एक खतरनाक बीमारी है जो अक्सर बिना स्पष्ट लक्षण के धीरे-धीरे शरीर में फैलती है। हाल ही में मियामी, अमेरिका के शोध में पता चला है कि अत्यधिक शराब पीना इस जानलेवा बीमारी का जोखिम कई गुना बढ़ा सकता है। आइए जानें पैंक्रियाटिक कैंसर के शुरुआती लक्षण, कारण और बचाव के प्रभावी तरीके।
शराब और पैंक्रियास पर प्रभाव
शराब का अधिक सेवन पैंक्रियास की उन कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है जो पाचन एंजाइम बनाती हैं। इससे पैंक्रियास में सूजन होती है, जो लंबे समय तक बनी रहने पर प्री-कैंसरस घावों में बदल सकती है। पैंक्रियास ब्लड शुगर नियंत्रित करने और भोजन पचाने में अहम भूमिका निभाता है, इसलिए इसकी सूजन से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
पैंक्रियाटिक कैंसर का खतरा कैसे बढ़ता है?
शोध के अनुसार, सूजन के साथ-साथ एक खास जीन (CREB) का असामान्य होना भी कैंसर के विकास में महत्वपूर्ण होता है। यह ‘मास्टर कंट्रोलर’ जीन स्वस्थ कोशिकाओं को प्री-कैंसरस कोशिकाओं में बदल देता है। जब इस जीन को रोका गया तो कैंसर बनने की प्रक्रिया रुक गई।
पैंक्रियाटिक कैंसर के शुरुआती लक्षण
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पेट या पीठ में दर्द
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वजन कम होना
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भूख में कमी
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पीलिया (पीली त्वचा और आंखें)
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थकान और कमजोरी
किन लोगों को ज्यादा खतरा?
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65 वर्ष से अधिक उम्र वाले
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जिनके परिवार में पैंक्रियाटिक कैंसर का इतिहास हो
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क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस के मरीज
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धूम्रपान करने वाले और अधिक वजन वाले लोग
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डायबिटीज मरीज
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रेड और प्रोसेस्ड मीट अधिक खाने वाले
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विभिन्न ब्लड ग्रुप (O, A, B, AB) वाले लोगों में जोखिम भिन्न होता है
पैंक्रियाटिक कैंसर से बचाव के उपाय
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शराब का सेवन पूरी तरह सीमित या बंद करें
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धूम्रपान से बचें
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संतुलित और पौष्टिक आहार लें
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नियमित व्यायाम करें और वजन नियंत्रित रखें
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नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं, खासकर यदि परिवार में इतिहास हो
पैंक्रियाटिक कैंसर को समय रहते पहचानना और जीवनशैली में सुधार करना ही इससे बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है। अत्यधिक शराब से बचाव और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर आप इस खतरनाक बीमारी के खतरे को कम कर सकते हैं।
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