पार्किंसंस डिजीज का संकेत हो सकता है हाथ-पैर में कंपन और कमजोर याददाश्त, जानें लक्षण और सावधानियां

पार्किंसंस डिजीज के लक्षणों को नजरअंदाज न करें। हाथ-पैर में कंपन, कमजोर याददाश्त और थकान जैसे संकेत हो सकते हैं दिमाग की इस गंभीर बीमारी के लक्षण। जानें इसके कारण, लक्षण और बचाव के उपाय।

पार्किंसंस डिजीज के लक्षण: आज की भागदौड़ भरी और तनावपूर्ण जीवनशैली में जहां हार्ट डिजीज, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर आम बीमारियां बन चुकी हैं, वहीं मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं भी तेजी से बढ़ रही हैं। इन्हीं में से एक है पार्किंसंस डिजीज (Parkinson’s Disease) – दिमाग से जुड़ी एक गंभीर और धीरे-धीरे बढ़ने वाली न्यूरोलॉजिकल बीमारी, जिसकी पहचान शुरुआती लक्षणों से की जा सकती है।

पार्किंसंस डिजीज उन समस्याओं में से एक है जिसे लोग अक्सर बढ़ती उम्र या थकान समझकर अनदेखा कर देते हैं, लेकिन अगर समय रहते इसके लक्षणों को पहचान लिया जाए तो इसका बेहतर इलाज और प्रबंधन संभव है।

 क्या है पार्किंसंस डिजीज?

पार्किंसंस एक न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसऑर्डर है, जिसमें मस्तिष्क की नर्व कोशिकाएं धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो जाती हैं या मरने लगती हैं। इससे मस्तिष्क में डोपामाइन नामक रासायनिक तत्व की मात्रा कम हो जाती है, जो मांसपेशियों की गति और मूवमेंट को नियंत्रित करता है। इस बीमारी का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।

पार्किंसंस डिजीज के प्रमुख लक्षण

1. हाथ-पैर में लगातार कंपन (Tremors)

यदि आपके हाथ या पैरों में बिना किसी कारण के लगातार कंपन हो रहा है, तो यह पार्किंसंस का प्रारंभिक संकेत हो सकता है। खासकर अगर यह आराम की स्थिति में होता है, तो सतर्क हो जाइए।

2. मांसपेशियों में अकड़न (Stiffness)

शरीर की मांसपेशियों में कठोरता या जकड़न महसूस होना भी इस बीमारी का संकेत हो सकता है। इससे चलने-फिरने या कोई भी मूवमेंट करने में दिक्कत हो सकती है।

3. याददाश्त कमजोर होना

पार्किंसंस रोग केवल शरीर की गति को ही नहीं, बल्कि मस्तिष्क की कार्यक्षमता को भी प्रभावित करता है। रोगियों को भूलने की बीमारी, ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत और निर्णय लेने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

4. नींद से जुड़ी समस्याएं

बार-बार नींद खुलना, पर्याप्त नींद न आना या दिनभर नींद महसूस होना पार्किंसंस का लक्षण हो सकता है।

5. चलने और संतुलन बनाने में कठिनाई

यदि आप चलते समय लड़खड़ाते हैं या संतुलन बनाने में दिक्कत होती है, तो यह भी चेतावनी संकेत हो सकता है।

6. बोलने में कठिनाई

धीरे बोलना, आवाज का भारी या असामान्य हो जाना और शब्दों को स्पष्टता से न बोल पाना भी पार्किंसंस का लक्षण हो सकता है।

7. चेहरे के हाव-भाव का कम होना (Facial Masking)

चेहरे पर अभिव्यक्ति की कमी या एक ही भाव में ठहर जाना – इसे “मास्क फेस” भी कहा जाता है, जो कि इस बीमारी का संकेत हो सकता है।

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समय रहते पहचानें और डॉक्टर से लें सलाह

हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि इन लक्षणों में से कोई भी लगातार बने रहते हैं तो तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए। पार्किंसंस को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन मेडिकेशन, फिजियोथेरेपी और लाइफस्टाइल बदलाव से इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

पार्किंसंस डिजीज से बचाव के लिए क्या करें?

हेल्दी और बैलेंस्ड डाइट लें

रोज़ एक्सरसाइज करें, खासकर योग और स्ट्रेचिंग

नींद का पूरा ध्यान रखें

तनाव कम करें

नियमित हेल्थ चेकअप करवाएं

मानसिक रूप से एक्टिव रहें (जैसे पजल्स, रीडिंग आदि)

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