पंजाब में इस बार भारी मानसून बारिश ने भारी तबाही मचाई है। राज्य के 23 जिलों में बाढ़ के हालात पैदा हो गए हैं, जिससे 1,902 गांव जलमग्न हो चुके हैं और लगभग 3.8 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। गुरदासपुर, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, तरनतारन और फाजिल्का सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित जिले रहे। लगभग 11.7 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि बाढ़ की चपेट में आई है, और इस भयानक बाढ़ में अब तक कम से कम 43 लोगों की मौत हो चुकी है।
पंजाब की प्रमुख नदियाँ—रावी, ब्यास और सतलुज—राज्य को ‘अन्न का कटोरा’ बनाती हैं, लेकिन हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के ऊपरी क्षेत्रों में भारी बारिश से ये नदियाँ उफान पर आ जाती हैं, जिससे बाढ़ की स्थिति बनती है। इस वर्ष भी मानसून के चलते बाढ़ ने राज्य को प्रभावित किया है, खासकर 26 अगस्त को पठानकोट के माधोपुर बैराज के दो गेट टूटने से भारी जलप्रवाह हुआ।
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मान सरकार ने तुरंत सभी प्रभावित जिलों में राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए हैं। करीब 1,700 गजेटेड अधिकारियों को तैनात किया गया है ताकि हर प्रभावित गांव में निगरानी हो सके। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना, बीएसएफ और स्थानीय एनजीओ के सहयोग से गुरदासपुर में हेलीकॉप्टर के माध्यम से 27 लोगों को बचाया गया, जबकि कुल 11,330 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। राज्य सरकार ने बाढ़ प्रभावितों को राहत सामग्री उपलब्ध कराते हुए पुनर्वास कार्यों में तेजी लाई है।
मान सरकार ने इस बाढ़ को ‘1988 के बाद की सबसे भयंकर बाढ़’ बताया है और पूरे राज्य को एकजुट होकर राहत एवं पुनर्निर्माण कार्यों में जुटा दिया है। अब सरकार का मुख्य फोकस प्रभावित परिवारों को जल्द से जल्द राहत पहुंचाना और भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए बेहतर तैयारी करना है।
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