संजीव अरोड़ा: एसएएस नगर बनेगा सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग हब, केंद्र सरकार ने दी नई परियोजना को मंजूरी

संजीव अरोड़ा: एसएएस नगर जल्द बनेगा सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग हब। CDIL की परियोजना को भारत सेमीकंडक्टर मिशन के तहत केंद्र सरकार की मंजूरी मिली।

पंजाब के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री संजीव अरोड़ा ने आज घोषणा की कि एसएएस नगर (मोहाली) आने वाले समय में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग हब का प्रमुख केंद्र बनेगा। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के तहत चार नई परियोजनाओं को स्वीकृति दी है, जिनमें से एक महत्वपूर्ण परियोजना मोहाली में स्थापित की जाएगी।

संजीव अरोड़ा के अनुसार, भारत सरकार द्वारा ओडिशा, पंजाब और आंध्र प्रदेश में कुल ₹4600 करोड़ के निवेश से अत्याधुनिक सेमीकंडक्टर विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित की जाएंगी। इस फैसले से देश के सेमीकंडक्टर क्षेत्र को नई गति मिलेगी और तकनीकी आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा।

मोहाली की CDIL परियोजना को मिली हरी झंडी- संजीव अरोड़ा

मंत्री ने बताया कि मोहाली स्थित कॉन्टिनेंटल डिवाइसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (CDIL) की सेमीकंडक्टर विनिर्माण इकाई को इस योजना के अंतर्गत शामिल किया गया है।
CDIL, जो 1964 से भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण की अग्रणी कंपनी रही है, अपनी ब्राउनफील्ड परियोजना के माध्यम से उत्पादन क्षमता का विस्तार कर रही है।

CDIL अब पावर सेमीकंडक्टर डिवाइसेज़ के क्षेत्र में सिलिकॉन और सिलिकॉन कार्बाइड तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए उच्च गुणवत्ता वाले MOSFET, IGBT, शॉट्की डायोड और ट्रांजिस्टर का उत्पादन बढ़ाएगी। इस विस्तार के साथ संयंत्र की वार्षिक उत्पादन क्षमता 158.38 मिलियन यूनिट बढ़ जाएगी और कुल क्षमता 750 मिलियन डिवाइसेज प्रति वर्ष तक पहुँच जाएगी।

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ईवी, ग्रीन एनर्जी और इंडस्ट्रियल यूज़ में होगा इस्तेमाल

मंत्री अरोड़ा ने बताया कि इन सेमीकंडक्टर उपकरणों का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहन, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, नवीकरणीय ऊर्जा सिस्टम, औद्योगिक उपकरणों और कम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर में किया जाएगा। इससे भारत को आयात पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी और ‘मेक इन इंडिया’ को नई दिशा मिलेगी।

स्थानीय रोजगार और नवाचार को मिलेगा बढ़ावा

संजीव अरोड़ा ने यह भी कहा कि यह परियोजना न केवल स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर खोलेगी, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान को प्रोत्साहित भी करेगी। यह उद्योग और अनुसंधान संस्थानों के बीच साझेदारी को मजबूत करने का अवसर प्रदान करेगी, जिससे तकनीकी प्रगति और आत्मनिर्भरता दोनों को बल मिलेगा।

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