शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत 22 सितंबर से हो चुकी है और नवरात्रि का त्योहार माँ दुर्गा की आराधना और दैवीय शक्ति की साधना का प्रतीक है। इस पावन अवसर पर भक्त माता रानी को खुश करने के लिए विशेष प्रसाद चढ़ाते हैं, जिनमें से एक लोकप्रिय और शुभ प्रसाद है बताशा। जानिए क्यों नवरात्रि में बताशे का भोग माता को लगाना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है और इसके पीछे छुपा है धार्मिक व ज्योतिषीय महत्व।
नवरात्रि में बताशे का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, बताशा एक सात्विक और पवित्र मिष्ठान है। इसका हल्का और जल्दी पचने वाला स्वरूप इसे देवी-देवताओं के लिए उपयुक्त नैवेद्य बनाता है। नवरात्रि में माता को बताशा अर्पित करने से भक्तों के जीवन से सभी कष्ट दूर होते हैं और माता की कृपा बनी रहती है। यह प्रसाद माँ दुर्गा को बहुत प्रिय माना जाता है, इसलिए इसे विशेष अवसरों पर चढ़ाना शुभ फलदायक होता है।
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बताशे का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष शास्त्र में बताशा का संबंध चंद्रमा और शुक्र ग्रह से जुड़ा हुआ है। नवरात्रि के दौरान बताशा अर्पित करने से चंद्रमा और शुक्र ग्रह की अशुभ स्थिति में सुधार आता है, जिससे घर में प्रेम, सामंजस्य और आर्थिक समृद्धि बढ़ती है। जिन जातकों की कुंडली में ये ग्रह कमजोर होते हैं, उन्हें विशेष रूप से माता को बताशा अर्पित करना चाहिए ताकि उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आएं।
बताशा चढ़ाने का सही तरीका
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नवरात्रि की अष्टमी या नवमी तिथि को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-ध्यान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
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माता रानी की प्रतिमा या चित्र के सामने साफ-सुथरे पात्र में बताशा अर्पित करें।
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प्रसाद चढ़ाते समय ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः’ मंत्र का जाप करें।
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पूजा के बाद प्रसाद का वितरण सभी में करें।
नवरात्रि में बताशा चढ़ाने के फायदे
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परिवार में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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मानसिक तनाव और रोग-शोक दूर होते हैं।
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वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है।
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आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और व्यापार में उन्नति होती है।
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