तेलंगाना : प्रधान मंत्री मोदी ने शमशाबाद में 11 वीं शताब्दी के भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य की याद में 216 फीट ऊंची ‘समानता की मूर्ति’ का किया, उद्घाटन
तेलंगाना : प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने शमशाबाद में 11 वीं शताब्दी के भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य की याद में 216 फीट ऊंची ‘समानता की मूर्ति’ का उद्घाटन किया। अष्टाक्षरी मंत्र के जाप से शुरू हुआ यह उत्सव 14 फरवरी तक 5000 से अधिक ऋत्विकों की उपस्थिति में चलेगा। 11वीं सदी के हिंदू संत रामानुजाचार्य के सम्मान में 216 फीट ऊंची स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी के उद्घाटन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को हैदराबाद के एक मंदिर में पूजा-अर्चना की।
Telangana | Prime Minister Narendra Modi inaugurates the 216-feet tall 'Statue of Equality' commemorating the 11th-century Bhakti Saint Sri Ramanujacharya in Shamshabad pic.twitter.com/dxTvhQEagz
— ANI (@ANI) February 5, 2022
कौन थे रामानुजाचार्य ?
1017 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में जन्मे रामानुजाचार्य एक वैदिक दार्शनिक और समाज सुधारक के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उन्होंने समानता और सामाजिक न्याय की वकालत करते हुए पूरे भारत की यात्रा की। 1017 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में जन्मे रामानुजाचार्य एक वैदिक दार्शनिक और समाज सुधारक के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
रामानुज भक्ति आंदोलन को पुनर्जीवित करने के लिए जाने जाते हैं। उनके उपदेशों ने अन्य भक्ति विचारधाराओं को प्रेरित किया। उन्हें अन्नामाचार्य, भक्त रामदास, त्यागराज, कबीर और मीराबाई जैसे कवियों के लिए प्रेरणा माना जाता है। रामानुज ने प्रकृति और उसके संसाधनों जैसे हवा, पानी और मिट्टी के संरक्षण की अपील की। उन्होंने नवरत्नों के नाम से जाने जाने वाले नौ शास्त्रों को लिखा, और वैदिक शास्त्रों पर कई टिप्पणियों की रचना की।
216 फुट ऊंची प्रतिमा
216 फुट ऊंची प्रतिमा, जिसे पहली बार 2018 में प्रस्तावित किया गया था, हैदराबाद के बाहरी इलाके में शमशाबाद के पास मुचिन्तल में 45 एकड़ के सुंदर जीयर इंटीग्रेटेड वैदिक अकादमी में स्थित है।प्रतिमा का प्रस्ताव और डिजाइन चिन्ना जीयर ने किया था। प्रतिमा के समर्पण की रस्में बुधवार (2 फरवरी) को शुरू हुईं, जिसमें 5,000 से अधिक वैदिक विद्वानों ने एक महा यज्ञ किया, जिसे आधुनिक समय में दुनिया का अपनी तरह का सबसे बड़ा यज्ञ कहा जाता है।
तेलंगाना के सीएम केसीआर ने अपनी पत्नी शोभा के साथ आयोजन स्थल का दौरा किया और उम्मीद जताते हुए कहा कि, “चिन्ना जीयर स्वामी के मुचिन्तल आश्रम में रामानुजन की सामंथा मूर्ति की प्रतिमा जल्द ही राज्य का प्रमुख पर्यटन स्थल बनेगा। संत और क्रांतिकारी रामानुज ने लगभग 1,000 साल पहले सभी को समानता, सम्मान और शांति का उपदेश दिया था।