राजस्थान हाई कोर्ट ने आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाने के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। 8 सितंबर तक विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।
राजस्थान में आवारा कुत्तों और अन्य पशुओं की समस्या को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए सभी नगर निकायों को शहरों की सड़कों और राजमार्गों से इन आवारा जानवरों को हटाने के लिए विशेष अभियान चलाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने आदेश दिया है कि इस कार्य के दौरान जानवरों को न्यूनतम शारीरिक क्षति पहुंचे और संबंधित अधिकारियों को पूरी छूट दी गई है कि वे किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप या अवरोध को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करें।
जोधपुर पीठ की खंडपीठ ने स्पष्ट किया है कि नगर निगम के कर्मचारियों के काम में बाधा डालने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें प्राथमिकी दर्ज करना भी शामिल है। खासतौर पर जोधपुर नगर निगम को आदेश दिया गया है कि वे एम्स और जिला अदालत परिसर जैसे भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों से आवारा पशुओं को तुरंत हटाएं।
सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और राज्य राजमार्ग प्राधिकरण को भी नियमित गश्त करने का निर्देश दिया गया है ताकि राजमार्ग पर वाहनों का सुचारू आवाजाही बनी रहे।
साथ ही, कोर्ट ने नगर निकायों को निर्देश दिया है कि वे आवारा पशुओं से जुड़ी शिकायतों के लिए टेलीफोन नंबर और ईमेल आईडी सार्वजनिक करें, जिससे नागरिक अपनी समस्याएं दर्ज करा सकें। कोर्ट ने यह भी कहा कि जो लोग धार्मिक या मानवीय कारणों से आवारा जानवरों की देखभाल करना चाहते हैं, उन्हें इसे नगर पालिकाओं या निजी संस्थाओं द्वारा संचालित आश्रयों, तालाबों या गौशालाओं में ही करना चाहिए।
राजस्थान हाई कोर्ट ने 8 सितंबर तक इस मुद्दे पर विस्तृत स्थिति रिपोर्ट भी मांगी है, जिसमें आश्रयों की स्थिति, जनशक्ति, कर्मचारियों और चिकित्सकों की उपलब्धता का उल्लेख होना आवश्यक होगा।
यह कदम सुप्रीम कोर्ट के दिल्ली-एनसीआर के लिए आवारा कुत्तों को जल्द से जल्द आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने के निर्देश के बाद उठाया गया है। इससे राजस्थान में आवारा पशुओं की समस्या को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
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