शनि ग्रह के छोटे चंद्रमा के नीचे हो सकता है एक बड़ा महासागर, वैज्ञानिकों को मिले सबूत
हमारा ब्रह्मांड कई तरीके के अजीबो गरीब रहस्य से भरा हुआ है..वैज्ञानिक और शौकिया खगोलविद लगातार अंतरिक्ष के नए-नए खोजो में लगे हुए हैं.. अगर बात करें हमारे सौरमंडल की तो सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगा रहे इन ग्रहों में अभी भी बहुत कुछ ऐसा है जिसे ढूंढना बाकी है.. बृहस्पति के बाद हमारे सौरमंडल में दूसरा सबसे बड़ा ग्रह शनि (saturn) है जिसने अपने आकार और अपनी खास संरचना के कारण वैज्ञानिकों का ध्यान हमेशा अपनी और खींचा है शनि के चारों ओर लगे छल्लो को देखकर इसे बहुत ही आसानी से पहचाना जा सकता है इसके अलावा इसकी एक और विशेषता है और वह है इसके 60 से ज्यादा चंद्रमा । आज हम बात कर रहे हैं शनि ग्रह के 60 में से एक चंद्रमा की जिसने वैज्ञानिकों के जिज्ञासा को एक बार फिर जगा दिया है वैज्ञानिकों द्वारा की गई एक नई रिसर्च के अनुसार इस बड़े से ग्रह की परिक्रमा करने वाले एक छोटे से चंद्रमा मीमास (mimas) की जमी हुई सतह के नीचे एक बड़ा महासागर छिपा हो सकता है बात करें इस छोटे से चंद्रमा मीमास की तो इसका घूर्णन घुमावदार है और वैज्ञानिक मानते हैं कि इसके अंदर मौजूद महासागर ही इसकी वजह है हालांकि महासागरों वाले बाकी चंद्रमा को देखें तो इसके उलट मीमास के सतह पर ऐसा कोई निशान नहीं मिलता जो उसके नीचे महासागर होने का संकेत दे। यह रिसर्च ईकारस जर्नल में प्रकाशित हुई… रिसर्चर एलीशा रोडेन और उनके सहयोगी मैथ्यू वॉकर ने महसूस किया कि चंद्रमा अपने सतह के 14 से 20 मील बर्फ के नीचे पानी को रख सकता है नासा के नेटवर्क फॉर ओशियन वर्ल्ड रिसर्च कोआर्डिनेशन नेटवर्क के को–लीडर और बर्फीले उपग्रहों की जियोफिजिक्स के स्पेशलिस्ट रोडन ने कहा है कि मीमास की सतह पर एक गड्ढा है उन्हें और उनके सहयोगी को ऐसा लगता है कि यह बर्फ का जमा हुआ एक बड़ा टुकड़ा है रोडन द्वारा की गई रिसर्च ने हमारे सौरमंडल और उसके बाहर एक संभावित रहने लायक दुनिया की धारणा को और अधिक मजबूत बना दिया है वे आगे कहते हैं कि मीमास में महासागर या समुद्र की मौजूदगी को परखने से उन्हें सौर मंडल के शनि ग्रह के बाकी चंद्रमा को भी बेहतर ढंग से समझने में मदद मिल सकते हैं… वैसे शनि ग्रह के चंद्रमा की तरह पृथ्वी के चंद्रमा पर भी पानी की मौजूदगी के सबूत मिले हैं बात करें पृथ्वी के चंद्रमा की तो चीन के chang’e 5 लूनर लैंडर ने वहां पानी से जुड़े कुछ अहम सबूतों की खोज की है इस लैंडर ने हमारे चंद्रमा की सतह पर पानी से जुड़ा पहला ऑनसाइट सबूत पाया यह बताता है कि आखिर पानी की मौजूदगी के बाद भी चंद्रमा सूखा क्यों है एक स्टडी से पता चला है कि चंद्रमा की लैंडिंग साइट पर मौजूद मिट्टी में लगभग 120 भाग प्रति मिलियन पानी की मौजूदगी है यानि अगर हम एक टन मिट्टी निकालते हैं तो उसमें लगभग 120 ग्राम पानी हो सकता है चंद्रमा पर मौजूद हल्की और वेसिकुलर चट्टानों में यहां की पानी की मात्रा 180 PPM है और यह पृथ्वी की तुलना में बहुत कम है इस वजह से ही चंद्रमा अधिक शुष्क है