Basant Panchami के दिन इस देव की भी पूजा होती है, भगवान शिव की तपस्या की थी भंग

देश भर में Basant Panchami पर मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इसके अलावा और भी देवताओं की पूजा की जाती है। कथाओं के मुताबिक, इसी दिन इन देव ने महादेव की तपस्या भंग की थी।

Basant Panchami को मां सरस्वती के अवतरण दिवस से सीधा संबंध है। माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को वसंत ऋतु का आरम्भ मानते हैं। विद्या, ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती को माना जाता है। इस दिन पूरे देश में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इसके अलावा, यह दिन एक देवता के लिए विशेष है। इस दिन भगवान शंकर की तपस्या भी भंग की गई थी। आइए जानते हैं इन देव के बारे में….

इन देव की पूजा होती है

इन देव का नाम है काम देव है। पौराणिक कहानी कहती है कि बसंत पंचमी के दिन कामदेव ने अपनी पत्नी रति के साथ भोले शंकर की तपस्या भंग कर दी थी। इससे क्रोधित होकर शंकर भगवान ने अपने त्रिनेत्र से कामदेव को भस्म कर दिया था। इसी दिन कामदेव और रति ने प्रेम और आकर्षण का संचार किया था, इसलिए साधु-संत उनकी पूजा करते हैं। यह भी कहा जाता है कि कामदेव और रति के आगमन से वसंत ऋतु शुरू होती है।

किन कारणों से कामदेव और रति की पूजा होती है?

पौराणिक ग्रंथो में कामदेव को प्रेम का देव माना गया है। ऐसे में किसी के द्वारा कामदेव और रति की पूजा का बड़ा महत्व माना गया है। कहा गया है कि इनकी पूजा से दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही जातक के मन में एक नई उमंग आती है। वहीं, कामदेव और रति के आगमन मात्र से प्रकृति में हरियाली आ जाती है और फूल खिलने लगते हैं। माना गया कि इनकी पूजा से जातक की लवलाइफ़ और वैवाहिक संबंधों में मधुरता बढ़ जाती है।

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