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UP Politics: क्या अखिलेश यादव को सहयोगी पसंद नहीं हैं? इन दलों के साथ बनती-बिगड़ती रही बात

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UP Politics: समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के गठबंधन सहयोगी जयंत चौधरी ने अपना पद छोड़ दिया। इस गठबंधन के टूटने के बाद राजनीतिक विश्लेषकों ने दो तरह की बातें बताई हैं।

UP Politics: उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन का एक बार फिर से विघटन होने का संकेत मिलता है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने अभी तक सीटों पर समझौता नहीं किया है। आरएलडी ने बीजेपी से बातचीत समाप्त कर दी है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने के बाद जयंत चौधरी ने बीजेपी में शामिल होने के सवाल पर कहा कि किस मुंह से इनकार कर सकते हैं। ऐसे में आरएलडी एनडीए में शामिल होने का दावा है। यह बात सबके बीच बहुत चर्चा में है कि सपा लंबे समय तक नहीं चला।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सपा के साथ किसी भी पार्टी का गठबंधन लंबे समय तक चलता नहीं है। दूसरे कहते हैं कि सपा ने हमेशा अपने गठबंधन के साथियों पर पूरा भरोसा रखा है। इसके लिए पिछले तीन चुनावों में उत्तर प्रदेश में सपा के तीन दलों के गठबंधन के आंकड़े और सीटें बताए जा रहे हैं। इसमें 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ सहयोग की चर्चा होती है।

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कांग्रेस और सपा का हाल एक जैसा

इस गठबंधन में सपा ने 403 में से 105 सीटें कांग्रेस को दी थीं। उसने 298 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इसके बावजूद, चुनाव का परिणाम इस गठबंधन के लिए बहुत बुरा था। गठबंधन ने इस चुनाव में सिर्फ 54 सीटें जीतीं। 47 सीटों पर समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की थी, जबकि कांग्रेस ने सात सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस का उत्तर प्रदेश में अब तक का सबसे बुरा प्रदर्शन था। ये गठबंधन इस चुनाव के बाद टूट गया।

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सपा और बीएसपी ने मिलकर काम किया। इस गठबंधन में आरएलडी भी शामिल था। दोनों पार्टियों ने 37 सीटों पर सपा और 38 सीटों पर बीएसपी के प्रत्याशी उतारने का निर्णय लिया। सीट बंटवारे में बीएसपी ने कई ऐसे क्षेत्रों को भी जीता, जो पहले से सपा के अधीन थे। दोनों ने चुनाव के बाद 15 सीटों पर जीत हासिल की।

छोड़ने दल भी नहीं भरोसे लायक नहीं

UP Politics: भाजपा ने पांच सीटों और बीएसपी ने दस सीटों पर जीत हासिल की। ये गठबंधन भी इस बार हार गया। फिर 2022 के पिछले विधानसभा चुनाव से पहले सपा ने बीजेपी के खिलाफ एक महागठबंधन बनाया। तब सपा के साथ आरएलडी, महान दल, सुभासपा, प्रसपा और अपना दल कमेरावादी इस गठबंधन में शामिल हुए। सपा ने चुनाव में अपनी स्थिति सुधारी, लेकिन सुभासपा, एक बड़ा दल, ने उसे छोड़ दिया। अब सपा में प्रसपा शामिल हो गया है और अपना दल कमेरावादी सपा के साथ है। हाल ही में महान दल ने भी अपना रुख बदला है और वह सपा अध्यक्ष अखिलेश के रुख में फिर से मिल रहे हैं।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सपा का कांग्रेस से समझौता लोकसभा चुनाव के लिए कितने दिनों तक चलेगा। फिलहाल, अखिलेश ने कांग्रेस को 11 सीटों का प्रस्ताव दिया है और अपने प्रत्याशी को 16 सीटों पर उतार दिया है। कांग्रेस अभी भी इस निर्णय से असंतुष्ट है और इसे एकतरफा निर्णय बताता है।

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