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National Education Day 2023: बुल कलाम ने देश की शिक्षा में क्या किया था?, जानें इस खास दिन का महत्व

National Education Day 2023

National Education Day 2023: स्कूल देश के भविष्य के लोगों को बनाते हैं।भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने उपरोक्त प्रेरणादायक बयान दिया है। स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षक मंत्री थे आज़ाद। बल्कि वे भारत में शिक्षा की बुनियाद रखने वाली महान संस्थाओं के भी “शिल्पकार” थे। मुक्त व्यक्तित्व बहुआयामी है। उन्होंने महान लेखक, साहित्यकार और पत्रकार रहे हैं, साथ ही आज़ाद भारतीय स्वाधीनता संग्राम में महान स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं।

11 नवंबर एक विशिष्ट दिन है। 11 नवंबर को हर साल शिक्षा क्षेत्र में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के योगदान को याद करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। 11 नवंबर, 2008 को वैधानिक रूप से राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया गया था। शिक्षा मंत्रालय हर साल राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की थीम निर्धारित करता है। साल 2022 का विषय है “चेंजिंग कोर्स, ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन।”जो बदलते समकालीन वातावरण के अनुरूप शिक्षा व्यवस्था को परिवर्तित करने से संबंधित है।

National Education Day 2023: इस दिन संस्थानों में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के व्यक्तित्व और कृतित्व को याद करते हुए भारतीय शिक्षा व्यवस्था के ऐतिहासिक विकास और वर्तमान में शिक्षा व्यवस्था के प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होती है। शिक्षक, विद्यार्थी और शिक्षक साक्षरता के महत्व और शिक्षा के कई हिस्सों पर बात करते हैं। संगठन, कार्यशाला, प्रदर्शनी और व्याख्यान होते हैं। स्कूलों में निबंध, क्विज, भाषण और पोस्टर बनाने की प्रतियोगिताएं होती हैं।

24 जनवरी को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस भी मनाया जाता है, जो विश्व शांति और विकास में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है। 3 दिसंबर 2018 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 24 जनवरी को “अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस” मनाने का प्रस्ताव पारित किया।

व्यक्तित्व और प्रदर्शन

National Education Day 2023:  मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को याद करने का दिन है क्योंकि भारत में शिक्षा के विकास में मौलाना आज़ाद की उल्लेखनीय भूमिका रही है।

अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 11 नवंबर, 1888 को मक्का, सऊदी अरब में हुआ था। वास्तव में उनका नाम मुहिउद्दीन अहमद था। वह अपने पिता से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद आज़ाद मिश्र के जामिया अज़हर में प्राच्य शिक्षा प्राप्त करने गया। आज़ाद ने सभी भाषाओं (अंग्रेज़ी, फ़ारसी, हिंदी, अरबी और उर्दू) में महारथ हासिल किया।

जब वे स्वतंत्र अरब से भारत आए, तो कलकत्ता को अपना घर बनाया। यहीं से उन्होंने राजनीति और पत्रकारिता में प्रवेश किया। 1905 में, आज़ाद ने बंगाल विभाजन का विरोध करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम लीग को अलगाववादी बताया। 1912 में “अलहिलाल” नामक एक साप्ताहिक पत्रिका कलकत्ता से निकली। यह पहला सचित्र राजनैतिक साप्ताहिक था जो लगभग 52 हजार प्रतियों में छापा गया था। इस साप्ताहिक में अंग्रेज़ी सरकार की नीतियों के खिलाफ लेख प्रकाशित होने से 1914 में इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। मौलाना ने फिर से एक पत्रिका बनाई, जिसका नाम “अलबलाग़” था। यह अखबार भी आज़ाद अंग्रेज़ी का विरोध करता था।

पंडित जवाहरलाल नेहरू, अब्दुल गफ्फार खान और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के साथ

अखबारों ने मौलाना आज़ाद को देशभक्ति की प्रेरणा दी। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने “पैग़ाम” और “लिसान-उल-सिद्क़” जैसे पत्र-पत्रिकाएँ भी लिखीं और “वकील” और “अमृतसर” जैसे कई अखबारों से भी संबंध बनाए।

मौलाना अबुल कलाम ने स्वतंत्र राजनीति में भाग लिया। उनके अलावा, वे भारत छोड़ने, असहयोग और विरोधी आंदोलन में शामिल हुए। गाँधी जी की अहिंसा की भावना उन पर बहुत प्रभाव डालती थी। गांधी ने अपने विचारों और सिद्धांतों को समाज में प्रसारित करने के लिए देश भर में दौरे किए। महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर भारत के स्वाधीनता संग्राम में शामिल होने वाले मौलाना अबुल कलाम आज़ाद हिंदू-मुस्लिम एकता का सबसे बड़ा समर्थक थे।

National Education Day 2023: मौलाना आज़ाद एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय नेता बन गए। 1923 में, वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का सबसे युवा अध्यक्ष बन गए। 1940 से 1945 तक वे कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्हें जेल में सही यातनाएं भी दी गईं। उनकी पत्नी ज़ुलेख़ा बेगम का स्वाधीनता संग्राम में सहयात्री का भी महत्वपूर्ण योगदान है।

आज़ाद ने उच्च शिक्षा और वैज्ञानिक खोज की नींव रखी और देश की शिक्षा व्यवस्था को बदलने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। मौलाना आज़ाद 15 अगस्त 1947 से 2 फरवरी 1958 तक भारत के शिक्षा मंत्री रहे। आज़ाद बहुत अच्छे उर्दू लेखक और पत्रकार थे, लेकिन शिक्षामंत्री बनने के बाद उन्होंने अंग्रेज़ी को उर्दू की जगह दी ताकि भारत पश्चिम से पीछे न रह जाए। “इंडिया विंस फ्रीडम” मौलाना आज़ाद की एक महत्वपूर्ण कृति है। जिसमें उन्होंने स्वाधीनता आंदोलन के दौरान हुई घटनाओं की चर्चा की है।

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1950 के शुरूआती दशक में मौलाना आज़ाद ने ‘संगीत नाटक अकादमी’ (1953), ‘साहित्य अकादमी’ (1953) और ‘ललित कला अकादमी’ (1954) की स्थापना की। 1950 में ही उन्होंने “भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद” की स्थापना की थी। वह स्वतंत्र भारत में राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर शिक्षा प्रदान करने वाले “केंद्रीय शिक्षा बोर्ड” के अध्यक्ष थे। उनका स्पष्ट समर्थन था कि सभी बच्चों को धर्म, जाति और लिंग से ऊपर उठकर 14 साल तक प्राथमिक शिक्षा दी जानी चाहिए।

National Education Day 2023: 1950 के दशक में, आज़ाद एक दूरदर्शी विद्वान थे, जिन्होंने सूचना विज्ञान और तकनीक की शिक्षा पर ध्यान देना शुरू किया। उन्हें देश की आधुनिक शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान मिला। शिक्षा मंत्री रहते हुए भारत में एक महत्वपूर्ण तकनीकी शिक्षण संस्थान, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी का गठन हुआ। उन्हीं के कार्यकाल में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICCTE) और सेकेंडरी एजुकेशन कमीशन भी बनाए गए। National Education Day 2023: जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की स्थापना में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान था। मौलाना महिलाओं की स्वतंत्र शिक्षा और वंचित जातियों की मदद करते थे। उनकी पहल पर 1956 में भारत में एक ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ बनाया गया था।

National Education Day 2023: 2 फ़रवरी, 1958 को स्वतंत्रतावादी ने दिल्ली में अंतिम विदाई दी। 1992 में उन्हें ‘भारत रत्न’ (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया, क्योंकि उन्होंने सार्वजनिक जीवन और स्वाधीनता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

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