धर्म

गर्भगृह क्या होता है? जाने प्रवेश नियम और क्यों हर बड़े मंदिर में, जानें प्रवेश से जुड़े नियम भी

हिंदू धर्म के हर बड़े मंदिर में गर्भगृह होता है। इसे बनाने की वजह क्या है और इसके नियम क्या हैं?

हिंदू मंदिरों में गर्भगृह हैं। खासकर हर बड़े मंदिर में आपको गर्भगृह देखने को मिलता ही है। लेकिन आप जानते हैं कि क्यों ये गर्भगृह बनाए जाते हैं? यदि आपको इसकी जानकारी नहीं है तो हम आपको इसी संबंध में जानकारी देंगे। हम आपको बताएंगे कि गर्भगृह में क्या होता है और इसे इतना पवित्र क्यों माना जाता है।

गर्भगृह क्या होता है?

धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि मंदिर का गर्भगृह हृदय या ब्रह्म स्थान है। मंदिर के देवी या देवता की मूल मूर्ति गर्भगृह में रखी जाती है। देवताओं को यहीं स्नान, भोग और विश्राम कराया जाता है। इसके अलावा, इसी स्थान पर पूजा करने का भी आदेश है। देवी-देवता की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करने के बाद स्थान बहुत पवित्र हो जाता है। हिंदू धर्म के प्रमुख मंदिरों और उनके गर्भगृहों का निर्माण वास्तु शास्त्र के अनुसार हुआ है। इनमें भक्तों को देखने और परिक्रमा करने का स्थान भी बनाया गया है। इसके साथ ही गर्भगृह को छोटा रखा जाता है, इसलिए हर व्यक्ति, छोटा या बड़ा, परमात्मा के सामने सिर झुकाकर जाए। ज्यादातर गर्भगृहों का आकार चौकोर या आयताकार होता है।

मुख्य देवता की मूर्ति और उनके परिवार की मूर्तियां भी इस स्थान पर स्थापित की जाती हैं। जैसे शिव के मंदिर में माता पार्वती और उनके बच्चों की मूर्तियाँ हैं, वैसे ही विष्णु के साथ लक्ष्मी और राम के साथ सीता की भी मूर्तियाँ हैं। इसके अलावा, गर्भगृह के द्वारों को सुबह एक निश्चित समय पर खोलने और बंद करने के नियम हैं। बदरीनाथ और केदारनाथ जैसे धार्मिक स्थानों में कपाट छह महीने तक बंद रहते हैं, इसलिए बहुत से श्रद्धालु कपाट को खोलने के लिए पहुंचते हैं और वाद्ययंत्रों की गूंज के साथ इसे खोलने की प्रक्रिया करते हैं।

क्यों हर बड़े मंदिर में गर्भगृह होता है?

हिंदू धर्म में हर बड़े मंदिर में गर्भगृह बनाया जाता है ताकि देवस्थान की शुद्धता बरती जा सके। यही पुजारी गर्भगृह में भगवान को भोग लगाता है जो पूरी तरह से शुद्ध है। इस स्थान में हर किसी को जाने की अनुमति नहीं दी जाती, क्योंकि ऐसा करने से देव स्थान की शुद्धता भंग हो सकती है। गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा के बाद हमेशा सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है, माना जाता है कि शुद्ध व्यक्ति इस जगह में प्रवेश करके सभी दुःख दूर कर सकता है। यह स्थान शांति और ऊर्जा का घर है। साथ ही, इस स्थान में बहुत कम लोग ही जाते हैं, इसलिए हर मंदिर में गर्भगृह होना अनिवार्य है। यह स्थान एकांत में होता है इसलिए देवी-देवताओं को आसानी से यहां स्नान, भोग आदि लगाया जा सकता है।

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