Holashtak में क्या करना चाहिए और क्या नहीं देखे यहाँ

Holashtak प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होता है। ये 8 दिन होलिका दहन तक होते हैं। इसके बाद होलाष्टक समाप्त हो जाते हैं। साधारण शब्दों में समझें तो होली से ठीक 8 दिन पहले होलाष्टक लगते हैं।

Holashtak प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होता है। ये 8 दिन होलिका दहन तक होते हैं। इसके बाद होलाष्टक समाप्त हो जाते हैं। साधारण शब्दों में समझें तो होली से ठीक 8 दिन पहले होलाष्टक लगते हैं। माना जाता है कि इन आठ दिनों में मंगल कार्य नहीं किए जाते क्योंकि नेगेटिव शक्तियां बहुत तीव्र होती हैं और शुभ कार्य नहीं किए जा सकते। इस वर्ष होलाष्टक सात मार्च से शुरू होकर 13 मार्च को समाप्त होगा।

क्या मान्यताएं हैं?

उस दिन कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या तोड़ने के लिए उन पर अपने पांच बाण छोड़े। उन्हें माता पार्वती से विवाह करने के लिए उनकी तपस्या तोड़नी पड़ी। लेकिन तपस्या खत्म होने से क्रोधित शिवजी ने अपनी आंख खोली, जिससे कामदेव भस्म हो गए।

क्या कार्य कर सकते हैं और क्या नहीं कर सकते

जन्म और मृत्यु के बाद होलाष्टक में भी कार्य किए जाते हैं। यदि किसी बच्चे का जन्म इस दिन होता है और उसकी छठी होलाष्टक में पड़ती है, तो उसी दिन उस बच्चे की छठी होगी। इस दौरान इन कामों में कोई ब्रैक नहीं लगता। लेकिन हालत होलाष्टक में नई शादी हुई दुल्हन को विदाई, नामकरण, जनेऊ, शादी, भूमि पूजन, घर प्रवेश आदि करने से कोई लाभ नहीं मिलता। कहा जाता है कि होलाष्टक के 8 दिनों में प्रह्लाद को हिरण्यकश्यप ने बंदी बनाया था। उसे जान से मारने के लिए तरह-तरह की यातनाएं दी गईं। इसलिए आठ दिनों को ही अशुभ मानने की परंपरा बन गई। इस दिन अलग-अलग ग्रह अपने उग्र रूप में होते हैं। इन दिनों में होलिका की तैयारी, जैसे गोबर की गुलरिया आदि बनाई जाती है।

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