पूजा-पाठ में क्यों माना जाता हैं लाल-पीले रंग को शुभ,आइए जानें

रंगों का मनुष्य के जीवन में बहुत खास महत्त्व होता है, और हिन्दू धर्म में तो पूजा-पाठ (Puja-Path) में भी रंगों को काफी अहमियत दी जाती है. ऐसी मान्यता है कि पूजा-पाठ में सही रंगों के वस्त्रों का चयन न होने से पूजा पूरी नहीं मानी जाती और उसका फल भी नहीं मिलता है. हिन्दू धर्म ग्रंथों में पूजा के दौरान किन रंगों (Colours) का प्रयोग करना चाहिए इसकी जानकारी मिलती है. रंगों को ज्योतिष के साथ वास्तुशास्त्र में भी महत्त्वपूर्ण स्थान दिया जाता है. ऐसे में व्यक्ति को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए कि पूजा में हमें किस रंग के कपड़ों का प्रयोग करना चाहिए. पूजा पाठ में कभी भी काले और नीले रंग (Blue Colour) का प्रयोग नहीं करना चाहिए. शनिदेव को छोड़कर किसी भी देवता की पूजा में काले रंग के प्रयोग को वर्जित माना गया है.

हिन्दू धर्म में चार रंगों को प्रमुख माना गया है
सफेद, लाल, पीला और हरा जिनका उपयोग भगवान को अर्पित की जाने वाली खाद्य सामग्री से लेकर जातक द्वारा पहने जाने वाले कपड़ों तक में होता है. वास्तुशास्त्र के अनुसार पूजा में पुरुष को सफेद धोती, सफेद या पीला कुर्ता पहनना चाहिए और महिलाओं को लाल रंग की साड़ी पहन कर पूजा करनी चाहिए. तो चलिए जानते है क्यों इन चार रंगों को पूजा में इतनी मान्यता दी गई है। सबसे पहले बात करते हैं सफेद रंग की तो सफेद रंग को शांति और पवित्रता का प्रतीक माना गया है, सफेद रंग के वस्त्र धारण करने से दिमाग शांत रहता है. वाणी की देवी मां सरस्वती को सफेद रंग बेहद प्रिय है. इसी प्रकार पूजा में उपयोग किये जाने वाला चावल/अक्षत भी सफेद रंग का होता है. जो लगभग सभी देवी-देवताओं की पूजा में उपयोग होता है.

लाल रंग को सौभाग्य का रंग माना जाता है. लाल रंग का उपयोग हर शुभ काम में होता है, लाल रंग को नए जीवन का प्रतीक माना जाता है. इसलिए सुहागिन स्त्रियों को भी लाल रंग की चूड़ी और साड़ी पहनने के लिए बोला जाता है इससे उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है. मां लक्ष्मी, मां दुर्गा भी लाल वस्त्र धारण करतीं है.

पीला रंग एक ऐसा रंग माना जाता है जिसका उपयोग हर तरह की पूजा में किया जाता है. इसलिए इस रंग को पूजा के लिए शुभ रंग माना जाता है. पीला रंग भगवान श्री हरी विष्णु को बहुत प्रिय है, पीले रंग को सौंदर्य का प्रतीक भी माना जाता है. ज्योतिष में पीले रंग को बृहस्पति का रंग माना गया है अतः मान्यता है कि जिसका गुरु कमजोर हो उसे गुरूवार के दिन पीले वस्त्र धारण करने चाहिए। अन्य रंग की तुलना में आंशिक रूप से हरे रंग का प्रयोग पूजा में थोड़ा कम किया जाता है. हरा रंग प्रकृति और सौभाग्य का सूचक होता है. हरा रंग मेडिकल साइंस में आंखों के लिए भी बहुत सुखदाई माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति हरे रंग का प्रयोग करता है उसे धन की कमी नहीं होती है. इसके पीछे कारण यह है कि मां लक्ष्मी को भी हरा रंग बेहद प्रिय है।

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