सनातन धर्म के मुताबिक सप्ताह के 1 दिन किसी ने किसी देश देवी-देवताओं कि शुक्रवार का दिन मां संतोषी माता को समर्पित है विधि विधान से मां संतोषी की पूजा की जाती है संतोषी को भगवती दुर्गा का सबसे को शांत रूप माना गया है। शुक्रवार के दिन मां संतोषी अपने भक्तों की सभी दुखों को हर लेती है तथा शुक्रवार का व्रत करने से सुख की प्राप्ति होती है शुक्रवार के दिन यदि कोई व्यक्ति व्रत रखता है तो उसे खट्टी चीजें नहीं बांटते हैं शुक्रवार का व्रत करने के दौरान कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है मान्यताओं के मुताबिक शुक्रवार व्रत के दौरान मां संतोषी के व्रत की कथा का पाठ करने से लाभ की प्राप्ति होती है आइए हम आपको बताएं शुक्रवार के व्रत की पूजा विधि आरती गुड़ अरु चना परम प्रिय ता में संतोष कियो।
संतोषी कहलाई भक्तन वैभव दियो।।
जय सन्तोषी माता….
शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सोही।
भक्त मंडली छाई कथा सुनत मोही।।
जय सन्तोषी माता….
मंदिर जग मग ज्योति मंगल ध्वनि छाई।
बिनय करें हम सेवक चरनन सिर नाई।।
जय सन्तोषी माता….
भक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजै।
जो मन बसे हमारे इच्छित फल दीजै।।
जय सन्तोषी माता….
दुखी दारिद्री रोगी संकट मुक्त किए।
बहु धन धान्य भरे घर सुख सौभाग्य दिए।।
जय सन्तोषी माता….
ध्यान धरे जो तेरा वांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर घर आनन्द आयो।।
जय सन्तोषी माता….
चरण गहे की लज्जा रखियो जगदम्बे।
संकट तू ही निवारे दयामयी अम्बे।।
जय सन्तोषी माता….
सन्तोषी माता की आरती जो कोई जन गावे।
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति जी भर के पावे।।
जय सन्तोषी माता….
आइए हम आपको बताएं शुक्रवार की पूजा विधि–
सर्वप्रथम शुक्रवार वाले दिन सुबह स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहन ले तत्पश्चात मां का व्रत करने का संकल्प लेकर उनके प्रतिमा को स्थापित करें इसके बाद विशेष रूप से तांबे का कलश स्थापित करें और चने का प्रसाद बना कर मां संतोषी की विधिवत पूजा और कथा पाठ करें। तत्पश्चात आरती करें और पूजा संपन्न होने के बाद पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें शुक्रवार व्रत पूजा आरती शुक्रवार व्रत का महत्व मान्यताओं के अनुसार शुक्रवार के दिन मां संतोषी का जन्म हुआ था शुक्रवार के दिन मां संतोषी का व्रत रखने से दुख और चिंता दूर हो जाती है बच्चों के स्वास्थ्य और कुशल पारिवारिक जीवन के लिए ना संतोषी का व्रत रखा जाता है मां संतोषी का व्रत फलदाई भी माना जाता है तो शिक्षा को पूरा करते हैं शुक्रवार व्रत कथा –बहुत समय पहले एक शहर में एक बुजुर्ग महिला अपने बेटे के साथ रहती थी। बेटे की शादी की उम्र हो गई थी इसीलिए उसने अपने बेटे का विवाह करा दिया था। जब बहू घर में आई तो बुजुर्ग महिला उससे काम करवाने लगी। बुजुर्ग महिला अपनी बहू से काम तो करवा लेती थी लेकिन उसे खूब तंग किया करती थी और खाना नहीं देती थी। यह सब उस बुजुर्ग महिला का बेटा चुप चाप देखा करता था और कुछ नहीं कहता था।
शहर गया लड़का
अपनी मां का अत्याचार देखकर लड़का बहुत परेशान हो गया और शहर जाने लगा। शहर जाने से पहले उसने अपनी पत्नी से निशानी मांगी लेकिन उसकी पत्नी ने रोते हुए कहा कि उसके पास देने के लिए कुछ भी नहीं है। ऐसे में लड़के को खाली हाथ ही घर से जाना पड़ा। एक दिन किसी काम की वजह से बहू बाहर गई तब उसने कुछ महिलाओं को पूजा करते हुए देखा। उसने महिलाओं से व्रत के बारे में पूछा। तब उन महिलाओं ने बहु को संतोषी मां के व्रत के बारे में बताया।