निकाय चुनाव कराकर भाजपा लोकसभा चुनाव की तैयारी करेगी। इससे पार्टी को चुनाव की तैयारी करने में मदद मिलेगी।
निकाय चुनाव कराकर भाजपा लोकसभा चुनाव की तैयारी करेगी। इससे पार्टी को चुनाव की तैयारी करने में मदद मिलेगी।
भाजपा स्थानीय चुनावों में प्रचार कर लोकसभा चुनाव में सीटें जीतने की कोशिश करेगी। उन्होंने 2017 के शहरी निकाय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया, 16 नगर निगमों में से 14, 198 नगर परिषदों में से 70, 438 नगर पंचायतों में से 100 पर कब्जा कर लिया।
आने वाले नगरीय निकाय चुनाव को लेकर प्रदेश में चुनावी बिगुल बज चुका है। भाजपा के लिए निकाय चुनाव आगामी लोकसभा चुनाव का पूर्वाभ्यास होगा। इसलिए पार्टी इन चुनावों के नतीजों के आधार पर ही लोकसभा चुनाव की तैयारी पर फोकस करेगी. पार्टी ने अपनी सफलताओं के साथ-साथ राष्ट्रवाद और विकास के पार्टी के एजेंडे पर जोर देकर सभी 17 नगर निगमों, जिला मुख्यालयों की नगर परिषदों और बड़ी नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों को निकाय चुनावों में जीतने की रणनीति की रूपरेखा तैयार की है।
2017 के नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा ने 16 नगर निगमों में से 14, 198 नगर परिषदों में से 70, 438 नगर पंचायतों में से 100 पर जीत हासिल की थी. इस बार पार्टी ने सभी 17 नगर निगम जीतने का लक्ष्य रखा है. इसके साथ ही जिला मुख्यालय सहित सभी बड़ी नगर परिषदों व अधिकांश नगर पंचायतों को जिताने का लक्ष्य रखा गया है.
इस चुनाव में पार्टी नगर निगमों और नगर पंचायतों में पहले से बेहतर प्रदर्शन कर 2017 का रिकॉर्ड तोड़ना चाहती है. इसका मतलब है कि पार्टी गांवों और शहरों में ज्यादा सीटें जीतने की कोशिश करेगी.
सरकार और संगठन यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि आम चुनाव से एक साल पहले स्थानीय सरकारी निकायों (जैसे राज्य विधानमंडल) के चुनाव हों ताकि उन चुनावों के परिणामों का आम चुनावों पर प्रभाव पड़े। यही कारण है कि सरकार चुनाव से पहले जिलों को ढेर सारे विकास प्रोजेक्ट दे रही है और संगठन विकास और राष्ट्रवाद जैसे मुद्दों पर अभियान चला रहा है.
पिछड़ा वर्ग भाजपा के समर्थन आधार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और उन्होंने पार्टी को एकतरफा समर्थन देकर सरकार को एक साथ रखने में मदद की है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, धर्मपाल सिंह, चौधरी लक्ष्मीनारायण और महासचिव अमरपाल मौर्य सहित पिछड़ा वर्ग के कई मंत्री और पार्टी पदाधिकारी हैं।
भाजपा ने निचले वर्गों को उसी तरह आकर्षित करने की कोशिश की, जैसे उसने मध्यम और उच्च वर्गों को किया था।