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राजस्थान में एक हत्याकांड की जांच के लिए पुलिस एक विशेष टीम का गठन कर रही है। टीम में एक अतिरिक्त अधीक्षक, एक सिपाही को शामिल कर तत्काल कार्रवाई की जायेगी.

राजस्थान में एक हत्याकांड की जांच के लिए पुलिस एक विशेष टीम का गठन कर रही है। टीम में एक अतिरिक्त अधीक्षक, एक सिपाही को शामिल कर तत्काल कार्रवाई की जायेगी.

राजस्थान में गोलीकांड और अपराध के कई मामले सामने आने के बाद इनसे जल्द निपटने के लिए एक विशेष टीम का गठन किया जाएगा. इसका नाम क्विक इन्वेस्टिगेशन डिस्पोजल टीम है, और यह हत्या, हिंसक घटनाओं, गैंगस्टरों द्वारा फायरिंग, नाबालिगों के बलात्कार जैसे मामलों में सक्रिय होगी।

हमारे राज्य में अब दो नए लोगों को पुलिस का प्रभार मिला है। ये एसपी (प्रभारी) और इंस्पेक्टर (सह-प्रभारी) हैं। वे हमारे राज्य में सभी पुलिस के प्रभारी होंगे, और वे अपराधों की जांच के लिए मिलकर काम करेंगे। पुलिस मुख्यालय ने हमारे राज्य के सभी जिलों में विशेष जांच दल बनाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।

टीम पहेली को सुलझाने की कोशिश करने के लिए मिलकर काम करेगी।

त्वरित जांच निस्तारण टीम राज्य के प्रत्येक जिले में दिन के 24 घंटे, सप्ताह के सातों दिन काम करेगी। टीम आपराधिक घटनाओं की जांच तेजी से और सही तरीके से करेगी, सभी सबूत इकट्ठा करेगी जो वे कर सकते हैं। यदि किसी गंभीर अपराध में अभियुक्तों को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं, तो उन्हें कठोर से कठोर सजा मिलेगी।

प्रत्येक जिले के त्वरित जांच निस्तारण दल में कुल 19 पुलिसकर्मी होंगे। टीम का नेतृत्व एडिशनल एसपी करेंगे और सह प्रभारी पुलिस इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी होंगे। इसमें 3-3 उपनिरीक्षक, 3-3 सहायक उपनिरीक्षक, 3-3 प्रधान आरक्षक और 8-8 आरक्षक भी होंगे।

ऐसी टीमें हैं जो एसपी के निर्देश पर काम करेंगी। संवेदनशील मामले होंगे तो टीम खुद उस स्थान पर जाएगी। टीम दिए गए वाहन का उपयोग मोबाइल जांच इकाई के रूप में करेगी। वे एफएसएल के साथ मिलकर काम करेंगे। इसके लिए टीम को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। टीम खुद मौके पर तो नहीं जा पाएगी, लेकिन वहां मौजूद अधिकारी को जांच में मदद करेगी।

क्विक इन्वेस्टिगेशन डिस्पोजल टीम (क्यूआईटी) में काम करने वाले पुलिसकर्मियों का चयन उनकी योग्यता के आधार पर होगा। इसमें भाग लेने के लिए राजस्थान के सर्वश्रेष्ठ पुलिसकर्मियों का चयन किया जाएगा।

पीड़ित के साथ काम करने के लिए अधिकारियों की एक टीम चुनी जाएगी। इन अधिकारियों के पास क्षेत्र का अनुभव है, और उनकी योग्यता के आधार पर चुना जाता है। टीम में एक प्रभारी अधिकारी होगा, जिसे गंभीर अपराधों की जांच का अनुभव होगा। टीम के सह प्रभारी पुलिस निरीक्षक स्तर के अधिकारी होंगे। इस इंस्पेक्टर को कम से कम 2 साल तक एसएचओ के पद पर काम करना चाहिए था, और पुलिस थानों या अपराध शाखा में 100 से अधिक गंभीर अपराधों की जांच की हो। टीम में सब-इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी के लिए यह आवश्यक है कि अधिकारी ने पुलिस थानों या अपराध शाखा में 100 से अधिक गंभीर अपराधों की जांच की हो। टीम में एएसआई, हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल रैंक के पुलिसकर्मियों का चयन किया जाएगा, जो स्नातक हैं। जिन्होंने रेंज, जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय, या पुलिस थानों में साइबर अपराध से संबंधित कार्य किया है। उन्हें नई तकनीकों और संसाधनों के उपयोग में प्रशिक्षित किया जाएगा। इस टीम द्वारा एक मोबाइल अनुसंधान वाहन और उसमें उपलब्ध सभी संसाधनों का उपयोग किया जाएगा।

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