दिल्ली

आज राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा होगी:कल लोकसभा में 60 सांसदों ने मुद्दा उठाया था; बिल 454 वोटों से पास हुआ, दो विरोध में।

महिला आरक्षण बिल गुरुवार को संसद के विशेष सत्र के चौथे दिन पर चर्चा होगी। बहस के बाद बिल पर मतदान होगा। 20 सितंबर को लोकसभा ने यह बिल पारित कर दिया। 454 वोट बिल के पक्ष में थे, जबकि 2 वोट इसके खिलाफ थे। AIMIM पार्टी के दो सांसदों, असदुद्दीन ओवैसी और इम्तियाज जलील, ने विरोध में वोट डाला।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, निर्मला सीतारमण और जेपी नड्डा भाजपा की ओर से भाषण देंगे। इस बिल पर भाजपा की 14 महिला सांसद और कई मंत्री भी अपनी राय दे सकते हैं। वहीं, चार महिला कांग्रेस सांसद भी बिल पर बोलेंगे।

बुधवार देर रात प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सोशल मीडिया खाते पर एक पोस्ट पोस्ट करके सभी को धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने 2023 में लोकसभा में संविधान का 128वां संशोधन विधेयक पारित होने पर खुशी व्यक्त की। मैं इस विधेयक के पक्ष में वोट देने वाले सभी सांसदों को धन्यवाद देता हूँ।

लोकसभा में बिल पर बहस करते हुए छह सौ सांसदों ने अपनी राय दी। राहुल गांधी ने कहा कि OBC आरक्षण इस बिल में नहीं है। अमित शाह ने कहा कि SC और ST में समान रूप से यह आरक्षण लागू होगा। चुनाव के तुरंत बाद जनगणना और डिलिमिटेशन होंगे, जिससे महिलाओं की सदन में भागीदारी बढ़ेगी। विरोध करने से जल्दी रिजर्वेशन नहीं होगा।

महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पारित होने के बाद भाजपा की महिला सांसद विक्ट्री साइन करती हैं।
महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पारित होने के बाद भाजपा की महिला सांसद विक्ट्री साइन करती हैं।
चौथे दिन की संसदीय कार्यवाही से महत्वपूर्ण अपडेट्स..।

कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल आज लोकसभा में अधिवक्ता संशोधन बिल 2023 प्रस्तुत करेंगे।
आज सरकार राज्यसभा में पुनर्लेखन और संशोधन बिल पेश कर सकती है। इस बिल में ऐसे 65 कानूनों को हटाने का प्रावधान है जो दूसरे कानूनों की वजह से प्रचलन से बाहर हो गए हैं या निरर्थक हो गए हैं। पिछले साल जुलाई में लोकसभा ने यह बिल पारित किया था।
आज लोकसभा चंद्रयान-3 की सफलता पर चर्चा करेगी।
अब, महिला आरक्षण बिल को लेकर लोकसभा में 7 प्रमुख नेताओं के बयान पढ़ें..।

अमित शाह: मेरी पार्टी का महिला आरक्षण बिल राजनीतिक मुद्दा नहीं है

अमित शाह ने कहा कि इस बिल से महिलाओं को एक तिहाई सीटें मिल जाएंगी। ये बिल कुछ पार्टियों के लिए राजनीतिक एजेंडा हो सकता है, लेकिन हमारी पार्टी और प्रधानमंत्री मोदी के लिए ये एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी को मान्यता की जरूरत है।

ये बिल चार बार पहले पेश किया गया था, लेकिन वह पास नहीं हुआ। देवगौड़ा से लेकर मनमोहन सिंह तक ने प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। आखिर इसे पास नहीं करने का कारण क्या था?

शाह ने राहुल को लक्षित करते हुए कहा कि उन्हें लगता है कि देश सेक्रेटरी चलाता है, लेकिन मैं देश सरकार चलाता हूँ। भाजपा की सरकार में 85 सांसदों में से 29 OBC कैटेगरी के हैं। 29 मंत्री OBC भी हैं। 1358 विधायकों में से 365, या 27%, OBC हैं, BJP में हैं।

राहुल: OBC आरक्षण इस बिल में शामिल होना चाहिए।

मैं इस बिल का पक्षधर हूँ। महिला आरक्षण बिल अपूर्ण है और आज से ही लागू होना चाहिए। OBC आरक्षण इसमें होना चाहिए था। मैंने पूछा कि हिंदुस्तान की सरकार चलाने वाले ९० सेक्रेटरी में से OBC कितने हैं? जवाब मुझे हैरान कर दिया क्योंकि ९० में से सिर्फ ३ OBC सेक्रेटरी हैं।

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा: ये बिल मुस्लिमों और ओबीसी लोगों के खिलाफ है

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने महिला आरक्षण बिल को खारिज कर दिया। उनका दावा था कि मोदी सरकार केवल ‘सवर्ण’ महिलाओं का अधिक प्रतिनिधित्व चाहती है। इस बिल से मुस्लिम महिलाओं और ओबीसी महिलाओं का प्रतिनिधित्व प्रभावित होगा। यह बिल मुस्लिमों और ओबीसी के खिलाफ है।

मोदी सरकार केवल ‘बड़े’ लोगों के हित में काम कर रही है। ये लोग इस सदन को ‘छोटे’ लोगों से चलाना नहीं चाहते। इस बिल से संसद में मुस्लिम महिलाओं का प्रतिनिधित्व बंद हो जाएगा।

स्मृति विज्ञान: संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं

डिंपल यादव ने महिला आरक्षण बिल में मुस्लिम महिलाओं और पिछड़े वर्गों को भी आरक्षण देने की मांग की थी। स्मृति ईरानी ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि जो लोग अल्पसंख्यकों को महिला आरक्षण बिल में आरक्षण की मांग कर रहे हैं, उन्हें बताना चाहती हूं कि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण देने का प्रावधान नहीं है।

सोनिया गांधी: महिला आरक्षण का बिल सबसे पहले राजीव लाए

सोनिया ने कहा कि स्थानीय निकायों में महिलाओं को आरक्षण देने वाला कानून सबसे पहले मेरे पति राजीव गांधी लाए थे, जो राज्यसभा में 7 वोटों से गिर गया था। बाद में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने उसे पास करवाया। इसी का नतीजा है कि देशभर के स्थानीय निकायों में 15 लाख चुनी हुई महिला नेता हैं। राजीव का सपना अभी आधा ही पूरा हुआ है, यह बिल पास होने से सपना पूरा हो जाएगा।

सोनिया ने आगे कहा कि कांग्रेस की मांग है कि बिल को फौरन अमल में लाया जाए। सरकार को इसे परिसीमन तक नहीं रोकना चाहिए। इससे पहले जातिगत जनगणना कराकर इस बिल में SC-ST और OBC महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की जाए।

इस पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि ये सिर्फ PM मोदी का बिल है, जिसने गोल किया, नाम उसी का होता है। हमारे प्रधानमंत्री और हमारी पार्टी ये बिल लेकर आई है तो इनके पेट में दर्द हो रहा है।

सुप्रिया सुले: देश में बाढ़ आ रही, स्पेशल सेशन क्यों बुलाया?

सुप्रिया सुले ने कहा कि महाराष्ट्र के पूर्व भाजपा प्रमुख ने मुझसे टीवी पर कहा था कि सुप्रिया सुले तुम घर जाओ, खाना बनाओ। देश कोई और चला लेगा। भाजपा इस पर जवाब दे।

उन्होंने आगे कहा कि जनगणना और परिसीमन होने तक महिला आरक्षण को लागू नहीं किया जा सकता। फिर इसके लिए स्पेशल सेशन क्यों बुलाया गया। इसे विंटर सेशन में भी पास कर सकते थे। देश के कई हिस्सों में बाढ़ आ रही है, इस समय सेशन बुलाने की क्या जरूरत है।

TMC सांसद काकोली घोष​​​​​​: बृजभूषण सिंह पर एक्शन क्यों नहीं

TMC सांसद काकोली घोष ने कहा कि देश में सिर्फ पश्चिम बंगाल में महिला CM है, भाजपा की 16 राज्यों में सरकार है, लेकिन एक भी राज्य में महिला CM नहीं है। देश के लिए मेडल जीतने वाली महिलाओं का सेक्शुअल हैरेसमेंट किया गया। आरोपी बृजभूषण सिंह आज संसद में बैठे हैं। भाजपा उनके खिलाफ कोई एक्शन क्यों नहीं लेती।

उधर, JDU के सांसद ललन सिंह ने कहा कि ये 2024 का चुनावी जुमला है। I.N.D.I.A गठबंधन से सरकार घबरा गई और ये बिल लेकर आई। इनकी मंशा सही होती तो 2021 में जनगणना शुरू करवा दी होती। इससे अब तक जनगणना पूरी हो जाती और महिला आरक्षण 2024 से पहले लागू हो जाता।

विशेष सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही की चुनिंदा तस्वीरें…

DMK सांसद मक्कल चिनराज बुधवार को अपनी मां के साथ संसद पहुंचे।
DMK सांसद मक्कल चिनराज बुधवार को अपनी मां के साथ संसद पहुंचे।
पैरा-एथलीट दीपा मलिक, एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज, बॉक्सर मैरीकॉम, क्रिकेटर मिताली राज और हॉकी प्लेयर रानी रामपाल बुधवार को संसद पहुंची।
पैरा-एथलीट दीपा मलिक, एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज, बॉक्सर मैरीकॉम, क्रिकेटर मिताली राज और हॉकी प्लेयर रानी रामपाल बुधवार को संसद पहुंची।
संसद के बाहर RJD सांसद मनोज झा से बात करते केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल।
संसद के बाहर RJD सांसद मनोज झा से बात करते केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पत्नी सोनल शाह भी बुधवार को लोकसभा की कार्यवाही देखने पहुंचीं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पत्नी सोनल शाह भी बुधवार को लोकसभा की कार्यवाही देखने पहुंचीं।
विशेष सत्र के तीसरे दिन बुधवार को कई महिलाएं संसद की कार्यवाही देखने पहुंचीं।
विशेष सत्र के तीसरे दिन बुधवार को कई महिलाएं संसद की कार्यवाही देखने पहुंचीं।
नई संसद में कामकाज के पहले दिन पेश हुआ था बिल
नई संसद में कामकाज के पहले दिन यानी 19 सितंबर को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) पेश किया गया। इस बिल के मुताबिक, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेशन लागू किया जाएगा।

लोकसभा की 543 सीटों में से 181 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। ये रिजर्वेशन 15 साल तक रहेगा। इसके बाद संसद चाहे तो इसकी अवधि बढ़ा सकती है। यह आरक्षण सीधे चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए लागू होगा। यानी यह राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा।

परिसीमन के बाद ही लागू होगा बिल
नए विधेयक में सबसे बड़ा पेंच यह है कि यह डीलिमिटेशन यानी परिसीमन के बाद ही लागू होगा। परिसीमन इस विधेयक के पास होने के बाद होने वाली जनगणना के आधार पर होगा। 2024 में होने वाले आम चुनावों से पहले जनगणना और परिसीमन करीब-करीब असंभव है।

इस फॉर्मूले के मुताबिक विधानसभा और लोकसभा चुनाव समय पर हुए तो इस बार महिला आरक्षण लागू नहीं होगा। यह 2029 के लोकसभा चुनाव या इससे पहले के कुछ विधानसभा चुनावों से लागू हो सकता है।

तीन दशक से पेंडिंग था महिला आरक्षण बिल
संसद में महिलाओं के आरक्षण का प्रस्ताव करीब 3 दशक से पेंडिंग है। यह मुद्दा पहली बार 1974 में महिलाओं की स्थिति का आकलन करने वाली समिति ने उठाया था। 2010 में मनमोहन सरकार ने राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण बिल को बहुमत से पारित करा लिया था।

तब सपा और राजद ने बिल का विरोध करते हुए तत्कालीन UPA सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी। इसके बाद बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया। तभी से महिला आरक्षण बिल पेंडिंग था।

संसद के विशेष सत्र में ये 4 बिल भी पेश होने हैं…

1. मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, शर्तें और पद अवधि) बिल, 2023: यह बिल चीफ इलेक्शन कमिश्नर (CEC) और अन्य इलेक्शन कमिश्नर (ECs) की नियुक्ति को रेगुलेट करने से जुड़ा है। बिल के मुताबिक आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यों का पैनल करेगा। जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे।

2. एडवोकेट्स अमेंडमेंट बिल 2023: इस बिल के जरिए 64 साल पुराने अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में संशोधन करना है। बिल में लीगल प्रैक्टिशनर्स एक्ट, 1879 को निरस्त करने का भी प्रस्ताव है।

3. प्रेस एवं रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियॉडिकल्स बिल 2023:

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