ट्रेंडिंगधर्म

Narak Chaturdashi कब है?, यमराज और श्रीकृष्ण की पूजा का दिन, मुहूर्त और महत्व नोट करें

Narak Chaturdashi

Narak Chaturdashi: दिवाली के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। मां लक्ष्मी के आगमन पर घरों में सफाई होती है। धनतेरस से पांच दिन का दीपोत्सव शुरू होता है। नरक चतुर्दशी का त्योहार दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है।

इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है, और संध्या के समय यम के नाम पर दीपल जलाया जाता है। यमराज को नरक चतुर्दशी पर दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। जानिए इस वर्ष नरक चतुर्दशी की तिथि, मुहूर्त और महत्व।

LALITA PANCHAMI घर में सुख-शांति के लिए ये छोटे-छोटे काम जरुर करें।

नरक चतुर्दशी 2023 डेट (Narak Chaturdashi 2023 Date)

नरक चतुर्दशी कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। 12 नवंबर 2023 को नरक चतुर्दशी है। यह छोटी दिवाली, नरक चौदस, रूप चौदस और काली चौदस भी कहलाता है। यह नरक चतुर्दशी बहुत खास है क्योंकि दिवाली भी इसी दिन मनाई जाएगी।

नरक चतुर्दशी 2023 मुहूर्त (Narak Chaturdashi 2023 Muhurat)

कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 11 नवंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी और 12 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी, पंचांग के अनुसार। नरक चतुर्थी पर सुबह शुभ मुहूर्त में स्नान करने की परंपरा है।

  • अभ्यंग स्नान मुहूर्त – प्रात: 05.28 – सुबह 06:41 (12 नवंबर 2023)
  • अवधि – 01 घण्टा 13 मिनट्स

नरक चतुर्दशी महत्व (Narak Chaturdashi Significance)

पौराणिक कहानी कहती है कि भगवान कृष्ण ने नरक चतुर्दशी के दिन अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से नरकासुर को मार डाला था। इस दिन कान्हा की पूजा की जाती है क्योंकि श्रीकृष्ण ने नरकासुर को मारकर देवताओं को बचाया था। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन संध्याकाल में यमराज के निमित्त दीपक जलाने से नरक से मुक्ति मिलती है और मृत्यु का भय नहीं सताता। 2023 में नरक चतुर्दशी और बड़ी दिवाली एक साथ होने से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण की पूजा करने से धन-सौभाग्य मिलेगा।

छठ पूजा पर बिहार जाने के लिए TRAIN का पक्का टिकट नहीं मिलेइन विकल्पों का लाभ उठा सकते हैं

नरक चतुर्दशी पर यम के नाम दीप (Narak Chaturdashi Yam Deep)

संध्या काल में नरक चतुर्दशी पर मुख्य द्वार पर दीपक लगाएं। यमराज के निमित्त आटे का चौमुखी दीपक बनाकर तेल का दीपक जलाया जाता है। वास्तव में, इससे यमलोक में यमराज की सजा नहीं सेहनी चाहिए।

फेसबुक और ट्विटर पर हमसे जुड़ें और अपडेट प्राप्त करें:

facebook-https://www.facebook.com/newz24india

twitter-https://twitter.com/newz24indiaoffc

Related Articles

Back to top button