Vijay Ekadashi 2025: विजया एकादशी व्रत में इन सात काम को न करें, आज ही जानें व्रत नियम

Vijay Ekadashi 2025: विजया एकादशी व्रत फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है।
Vijay Ekadashi 2025: हर महीने की एकादशी तिथि को विष्णु की कृपा पाने के लिए व्रत और पूजन किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विष्णु की पूजा करने से सुख-सौभाग्य मिलता है और साधक जीवन के सभी दुखों से छुटकारा मिलता है। विजया एकादशी फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी है। माना जाता है कि इस दिन व्रत और विष्णुजी की पूजा करने से साधक को हर काम में सफलता मिलती है और घर में सुख-समृद्धि मिलती है, लेकिन विजया एकादशी व्रत में कुछ कार्य करने की मनाही है। माना जाता है कि ऐसा करने से श्रीहरि विष्णु नाराज़ हो सकते हैं। यही कारण है कि एकादशी व्रत के नियमों का खास ध्यान रखना चाहिए। आइए जानें कि विजया एकादशी व्रत के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
विजया एकादशी पर इन कार्यों को न करें
विजया एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए। यह स्वीकार किया जाता है कि इससे विष्णुजी परेशान हो सकते हैं।
श्रीहरि विष्णुजी को तुलसी की पत्तियां बहुत अच्छी लगती हैं। तुलसी के पत्तों को विष्णु के भोग में शामिल करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। तुलसी के पत्ते को एकादशी तिथि पर नहीं तोड़ना चाहिए, लेकिन कहते हैं कि इसके बिना विष्णु भोग नहीं खाना चाहिए। पूजा में इस्तेमाल करने से पहले एक दिन पहले तुलसी के पत्तों को तोड़कर रख दें।
विजया एकादशी पर व्रती और परिवार के अन्य लोगों को सात्विक भोजन करना चाहिए। घर के प्रत्येक सदस्य को मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि इससे विष्णुजी नाराज हो सकते हैं।
सनातन धर्म में शुभ कार्यों में काले कपड़े पहनना वर्जित है। साधक को एकादशी व्रत में भी काले रंग का वस्त्र नहीं पहनना चाहिए। इस दिन आप विष्णु की पूजा कर सकते हैं और पीले रंग के कपड़े पहन सकते हैं।
विजया एकादशी के दिन गुस्सा मत करो। अपने से बड़े लोगों का अपमान नहीं करें। अपशब्दों का उपयोग करने से बचें। नकारात्मक विचार मन में न लाएं।
एकादशी व्रत करते समय ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना आवश्यक है। इस दिन घर की साफ-सफाई पर भी विशेष ध्यान दें। घर के किसी भी हिस्से को गंदा न रखें और शाम को तुलसी के पौधे के समक्ष घी का दीपक जलाएं।
एकादशी व्रत में किसी भी तरह से झूठ न बोलें। हिंसा से बचें। अपने मन,कर्म और वचन से किसी को परेशान न करें।