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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शताब्दी समारोह में शामिल हुई, कहा- पीएमसीएच बिहार एक बहुमूल्य धरोहर है, जिसका इतिहास गौरवशाली रहा है

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद यहीं पैदा हुए थे। उन्होंने पीएमसीएच की सौ वर्ष पुरानी विरासत को भी सराहा और कहा कि पटना का मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बिहार की अनमोल धरोहर हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (पीएमसीएच) के शताब्दी वर्ष समारोह में भाग लिया. सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र स्थित बापू सभागार में समारोह हुआ। उन्होंने इस अवसर पर संबोधित किया और संस्था को 100वें वर्ष की शुभकामनाएं दीं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि मैं बिहार की इस पुण्यभूमि को सादर नमन करता हूँ। भारत में माता सीता, भगवान महावीर और भगवान बुद्ध की पावन स्थानों में से एक यह भूमि रही है। यहीं से महात्मा गांधी ने भारत में अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष शुरू किया। आदरणीय डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, भारत के पहले राष्ट्रपति, इस जगह जन्मे थे। उन्होंने पीएमसीएच की सौ वर्ष पुरानी विरासत को भी सराहा और कहा कि पटना का मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बिहार की अनमोल धरोहर हैं। मैं इस अस्पताल के गौरवमय इतिहास के सौ वर्ष पूरे होने पर इसके पूर्व और वर्तमान चिकित्सकों, अधिकारियों और विद्यार्थियों को बधाई देता हूँ।

शिक्षा और चिकित्सा के लिए जाना जाता है

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू  ने कहा कि इस संस्थान का समृद्ध इतिहास है, जो अच्छी चिकित्सा और शिक्षा के लिए जाना जाता है। एशिया के सर्वश्रेष्ठ अस्पतालों में से एक था। इस संस्थान से शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों ने अपनी प्रतिभा, सेवा और समर्पण से देश-विदेश में पीएमसीएच का नाम रोशन किया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्म पुरस्कार और डॉक्टर बी. सी. रॉय पुरस्कारों से सम्मानित कई पूर्व विद्यार्थियों का नाम बताया। उनका कहना था कि इनमें से आंखों के डॉक्टर दुखन राम जी पूरे भारत में प्रसिद्ध थे। मुझे यह भी बताया गया कि पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद अपनी आंख के इलाज के लिए अक्सर पटना आते थे। राष्ट्रपति ने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा कि इस संस्थान से निकले हुए डॉक्टर सी. पी. ठाकुर ने कालाजार को समाप्त करने का फैसला किया था। पिछले साल उन्हें पद्म भूषण भी मिला था।

एक समय था जब बिहार के चिकित्सकों को देश भर में प्रसिद्धि मिली

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि एक समय था जब बिहार के चिकित्सकों को देश-विदेश में प्रसिद्धि मिली थी। लोग दूर-दूर से यहां इलाज के लिए आते थे। बीच में कुछ अच्छे चिकित्सक यहां से चले गए। इसलिए लोगों को अच्छी चिकित्सा के लिए राज्य छोड़ना पड़ता है। चिकित्सा के लिए दूसरे राज्य या शहर में जाने से कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इलाज में देरी होने पर परदेस में रहना और खाना भी मुश्किल होता है। रोगियों के परिजनों का काम भी प्रभावित होता है। बड़े शहरों में चिकित्सा संस्थानों पर भी अधिक दबाव है। देश भर में अच्छे चिकित्सा संस्थानों को एकत्रित करना इन सभी समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद होगा। चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई और इंदौर जैसे शहर भी विशिष्ट देखभाल के केंद्र बन गए हैं। बिहार में भी ऐसे कई केंद्र बनाए जाने की जरूरत है। इससे न केवल स्थानीय लोगों को अच्छी चिकित्सा मिलेगी, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। पीएमसीएच और इसके पूर्व विद्यार्थी अपने अनुभव से इस कार्य में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं और बिहार के गौरवशाली अतीत को वापस ला सकते हैं।

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