
Delhi Budget 2025: विपक्षी नेता आतिशी ने कहा कि दिल्ली के बजट को पढ़कर उन्होंने सोचा कि बीजेपी को जुमला पार्टी क्यों कहा जाता है? बजट में वादे किए गए हैं, लेकिन योजनाओं को लागू करने के लिए धन कहां से मिलेगा?
Delhi Budget 2025: आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने गुरुवार (27 मार्च) को दिल्ली सरकार के बजट अनुमानों को लेकर हमला बोला है। बजट पर बहस के दौरान, उन्होंने कहा कि बीजेपी की “विपदा” सरकार ने भी बजट पर जुमलेबाजी की, केंद्र और दिल्ली सरकारों के बजट दस्तावेजों में आवंटित धन के आंकड़े सदन पटल पर रखते हुए। एक लाख करोड़ रुपए का बजट सिर्फ हवा-हवाई है।
उन्होंने कहा “दिल्ली का वास्तविक बजट मात्र 78 हजार करोड़ रुपए का है। सरकार का अनुमान है कि टैक्स जमा 5 हजार करोड़ रुपए कम होगा। नेशनल स्मॉल सेविंग फंड से 15 के बजाय सिर्फ 5 हजार करोड़ रुपए लोन मिल सकेंगे और केंद्र सरकार से 7 हजार करोड़ रुपए नहीं मिलेंगे।”
विपक्षी नेता आतिशी ने कहा, “पहले पीएम मोदी हर व्यक्ति के खाते में 15 लाख रुपए देने के जुमले देते थे। बीजेपी की सरकार अब दिल्ली के बजट में बहस कर रही है। दिल्ली सरकार द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत बजट को देखकर बीजेपी को जुमला पार्टी क्यों कहा जाता है, यह स्पष्ट हो गया।”
आप नेता आतिशी ने बताया कि मोदी ने पहले 15 लाख रुपए लाने का बड़ा दावा किया था। फिर वह छोटे-छोटे जुमले करने लगे कि दिल्ली की महिलाओं को 2500 रुपए देंगे।
सरकार बताए पैसे कहा से आएंगे?
उन्होंने सीएम रेखा गुप्ता से पूछा कि पैसा कहां से आएगा? कहां से और किन मदों से राजस्व आएगा? उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली बीजेपी सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण तक पेश नहीं किया. इसकी वजह क्या है? आर्थिक सर्वेक्षण सदन में पेश करना सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है।
आतिशी के अनुसार, आर्थिक सर्वे इकोनॉमी का ट्रेंड बताता है कि रियल स्टेट, सेवा क्षेत्र और व्यापार में वृद्धि कैसे होगी? इसी पर जीडीपी ग्रोथ के अनुमान लगाए जाते हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी भारत सरकार का आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत किया, जो 6.5 प्रतिशत जीडीपी ग्रोथ का अनुमान लगाता है। आर्थिक विकास के आधार पर ही तय किया जाता है कि आने वाले सालों में कितना टैक्स आने का अनुमान है।
आतिशी ने आगे कहा कि जब मैंने बजट के आंकड़े देखे कि 68,700 करोड़ रुपए टैक्स राजस्व का अनुमान है, तब बात समझ में आई कि अगर आर्थिक सर्वेक्षण सदन में आ गया होता तो 68,700 करोड़ रुपए के टैक्स राजस्व का आंकडा कितना निराधार है, यह दिल्ली के लोगों के सामने आ जाता।