Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि कब है? महत्व, तिथि और शुभ मुहूर्त जाने

Shardiya Navratri 2025: हिंदू धर्म में देवी-देवताओं और त्योहारों का विशेष महत्व है, और नवरात्रि इन्हीं खास त्योहारों में से एक है। नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा नौ दिनों तक की जाती है। नवरात्रि चार बार साल में मनाई जाती है।
Shardiya Navratri 2025: हिंदू धर्म में देवी-देवताओं और त्योहारों का विशेष महत्व है, और नवरात्रि इन्हीं खास त्योहारों में से एक है। नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा नौ दिनों तक की जाती है। नवरात्रि चार बार साल में मनाई जाती है। बहुत से लोग नहीं जानते कि चैत्र (वासंती नवरात्रि) और शारदीय नवरात्रि (अश्विन नवरात्रि) के अलावा, दो गुप्त नवरात्रि (माघ और आषाढ़) भी होती हैं। जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है, शारदीय नवरात्रि हैं, जो अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती हैं। भक्त इस दौरान माँ दुर्गा को नौ दिनों तक पूजते हैं, उपवास करते हैं और आखिरी दिन कन्या पूजन करते हैं। इन दिनों, माँ दुर्गा अपने भक्तों को आशीर्वाद देती है और उनकी प्रार्थना सुनती है।
शारदीय नवरात्रि 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि (2025) का पर्व हर साल अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर भव्य रूप से मनाया जाता है। यह पर्व अक्सर सितंबर या अक्टूबर में आता है, और हर साल इसकी तारीखें हिंदू पंचांग के अनुसार बदलती हैं। शारदीय नवरात्रि को अश्विन नवरात्रि भी कहा जाता है। 2025 में, यह पर्व 22 सितंबर, सोमवार से शुरू होकर 2 अक्टूबर, गुरुवार तक मनाया जाएगा। शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन दशहरा का पर्व मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
- इस साल शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से 2 अक्टूबर 2025 तक मनाया जाएगा।
- कलश स्थापना मुहूर्त – प्रातः 06.16 – से प्रातः 08.07 (22 सितंबर 2025)
- घटस्थापना अभिजित मुहूर्त – प्रातः 11.55 से दोपहर 12.44 बजे तक
शारदीय नवरात्रि का महत्व
महानवरात्रि या अश्विन नवरात्रि शारदीय नवरात्रि का दूसरा नाम है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान राम, माता सीता और अपने भाई लक्ष्मण के साथ चौबीस वर्ष के वनवास पर गए थे, जहां रावण ने माता सीता को धोखे से हरण कर लिया था। इसके बाद भगवान राम ने माता सीता की रक्षा के लिए रावण से युद्ध किया और उस पर विजय प्राप्त की। तभी से इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाने लगा।
इसके पीछे एक अलग कहानी भी है। जिसके अनुसार, मां दुर्गा ने नौ दिनों तक दुष्ट राक्षस महिसासुर से युद्ध किया था और दसवें दिन उसे पराजित किया था। इसलिए लगातार नौ दिनों तक भक्त माता की उपासना करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस समय पूरी श्रद्धा से मां दुर्गा की पूजा करने से आपके सभी कष्ट दूर हो सकते हैं और आप एक समृद्ध जीवन की शुरुआत कर सकते हैं।