Bagalamukhi Jayanti 2025: बगलामुखी जयंती कब मनाई जाएगी? यहाँ सही तिथि का कन्फ्यूजन दूर करें

धार्मिक मत है कि देवी मां बगलामुखी की पूजा (Baglamukhi Jayanti 2025 Puja Vidhi) करने से शत्रुओं का भय समाप्त होता है।
Bagalamukhi Jayanti 2025: साथ ही साधक को अभय का वरदान मिलता है। मां बगलामुखी की महिमा अनंत है। सभी प्रकार के सुख उनके शरण में रहने वाले साधकों को मिलते हैं। शक्तिपीठ मंदिरों में इस शुभ अवसर पर मां की विशेष पूजा की जाती है।
वैशाख महीने में बगलामुखी जयंती होती है। यह दिन मां बगलामुखी को समर्पित है। इस शुभ अवसर पर भक्तिपूर्वक मां बगलामुखी की पूजा की जाती है। साथ ही साधक विशिष्ट कार्यों में सफलता पाने का व्रत रखते हैं। मां की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।
तंत्र-मंत्र सीखने वाले साधक मां बगलामुखी की कठिन साधना करते हैं। कठिन साधना से प्रसन्न होकर मां बगलामुखी अपने भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं। साथ ही साधक के जीवन से सभी प्रकार की पीड़ा और मुसीबत दूर हो जाती है। आइए, बगलामुखी जयंती की सही डेट (Bagalamukhi Jayanti 2025 Date) और शुभ मुहूर्त जानते हैं।
बगलामुखी जयंती शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 04 मई को सुबह 07 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 05 मई को सुबह 07 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी।
बगलामुखी जयंती कब मनाई जाएगी?
ज्योतिष और पंचांग गणना के अनुसार, 05 मई को बगलामुखी जयंती मनाई जाएगी। वैशाख शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर एक दुर्लभ वृद्धि योग बन रहा है। वृद्धि योग रात भर रहता है। रवि योग और सर्वार्थ शिववास योग भी मिल रहे हैं। इस संयोजन में मां बगलामुखी की पूजा करने से लाभ होगा।
पूजा विधि
वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर सुबह उठें। अब दिन की शुरुआत करने के लिए मां बगलामुखी को प्रणाम करें। घर साफ करें। दैनिक कार्यों के बाद गंगाजल से स्नान करें।
इसके बाद आचमन कर नवीन(नया) लाल रंग के कपड़े पहनें और सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद पंचोपचार कर विधिवत देवी मां बगलामुखी की पूजा करें।
साधक पूजा हेतु मंदिर भी जा सकते हैं। आसान शब्दों में कहें तो मंदिर जाकर देवी मां बगलामुखी की पूजा कर सकते हैं। पूजा के समय देवी मां बगलामुखी को फूल, फल, वस्त्र आदि चीजें अर्पित करें। पूजा के समय दुर्गा चालीसा का पाठ और मंत्रों का जप करें। अंत में आरती कर सुखों में वृद्धि की कामना करें।