मनोरंजनट्रेंडिंग

जावेद अख्तर ने शराब की तुलना धर्म से की, बोले – सीमा में रहे तो ठीक, वरना दोनों खतरनाक हैं

जाने-माने गीतकार और लेखक जावेद अख्तर ने हाल ही में एक इंटरव्यू में धर्म और शराब के बीच समानता को लेकर एक दिलचस्प और विवादास्पद बयान दिया है।

जावेद अख्तर ने कहा कि जैसे शराब अगर तय मात्रा में ली जाए तो नुकसान नहीं पहुंचाती, वैसे ही धर्म भी सीमित हो तो ठीक है, लेकिन दोनों की अति जानलेवा हो सकती है।

जावेद अख्तर- डिनर से पहले 2 पेग पीना ठीक है

जावेद अख्तर ने खुद को नास्तिक मानते हुए अक्सर ईश्वर के अस्तित्व पर सवाल उठाए हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने एक अमेरिकी सर्वे का हवाला देते हुए कहा कि ज़्यादा लंबी उम्र उन्हीं लोगों की होती है जो संयम में रहते हैं। जावेद अख्तर ने कहा, “एक अध्ययन में देखा गया कि न तो शराब से पूरी तरह दूर रहने वाले लोग सबसे लंबा जीते हैं, और न ही वो लोग जो बहुत ज़्यादा शराब पीते हैं। बल्कि जिन लोगों ने डिनर से पहले केवल दो पैग लेने की आदत बनाई, वे सबसे अधिक जिए।”

उसी संदर्भ में जावेद अख्तर ने आगे कहा, “शराब को अगर इतनी बुरी चीज़ माना जाए, तो फिर उसे दवाओं में क्यों डाला जाता? जैसे दूध की सीमित मात्रा फायदेमंद है, वैसे ही शराब या धर्म भी सीमित मात्रा में लाभकारी हो सकते हैं। लेकिन जब इनकी मात्रा बढ़ा दी जाती है, तब ये ज़हर बन जाते हैं। लोग दूध की ओवरडोज़ नहीं लेते, लेकिन शराब और धर्म में लोग हद पार कर जाते हैं।” उन्होंने कैंसर सेल्स का उदाहरण देते हुए कहा, “कुछ कैंसर सेल्स शरीर को पतला रखती हैं, लेकिन जब वे बढ़ने लगती हैं तो जान ले लेती हैं। ठीक उसी तरह धर्म और शराब भी नुकसानदेह हो सकते हैं जब उन पर नियंत्रण न हो।”

जावेद अख्तर ने यह भी स्वीकार किया कि एक समय उन्हें भी शराब की गंभीर लत थी। जावेद अख्तर ने बताया कि वे कभी अकेले, तो कभी दोस्तों के साथ पीते थे और एक बार में 18 बीयर तक पी जाते थे। उन्होंने 19 साल की उम्र से शराब पीना शुरू कर दिया था। लेकिन 1991 में उन्होंने फैसला लिया कि अब शराब नहीं पीनी है – और तब से अब तक उन्होंने दोबारा शराब नहीं छुई।

उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग उनके विचारों को ‘गहरी सोच’ बता रहे हैं, तो कुछ इसे धर्म की आलोचना के रूप में देख रहे हैं।

Related Articles

Back to top button