Kailash Mansarovar Yatra: कैलाश मानसरोवर यात्रा आज से शुरू हुई, धार्मिक महत्व जानें

Kailash Mansarovar Yatra: कैलाश मानसरोवर की यात्रा आज से शुरू हो गई है, माना जाता है कि यह भगवान शंकर और मां पार्वती का घर है। मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को स्वर्ग से सीधा संपर्क होता है।
Kailash Mansarovar Yatra: भगवान शिव का घर माना जाता है कैलाश पर्वत, जो हिमालय की पहाड़ियों के बीच है। माना जाता है कि भगवान शिव और उनकी माता पार्वती इसी पर्वत पर रहते हैं। इसलिए हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है। हिंदू, जैन, तिब्बती सब इस पर्वत को महत्व देते हैं। कैलाश मानसरोवर की यात्रा आज से शुरू हो गई है। इस पर्वत की यात्रा के लिए 5 साल बाद चीन ने परमिशन दी है।
Read: Sawan Purnima 2025 Date: सावन माह की पूर्णिमा कब है?…
22.028 फीट समुद्र तल से भगवान शिव का यह पर्वत पिरामिड से बना है, जिसका शिखर शिवलिंग की तरह दिखता है। यह पूरे वर्ष बर्फ से ढका रहता है। कैलाश मानसरोवर 22,028 फीट ऊंचे बर्फ से ढके शिखर का नाम है। हिंदू धर्म मानता है कि यह पर्वत स्वयंभू है और कैलाश-मानसरोवर उतना ही प्राचीन है जितनी प्राचीन है पूरी सृष्टि। यह अद्भुत और अलौकिक स्थान बताया जाता है कि यहाँ प्रकाश तरंगों और ध्वमि तरंगों का एकीकरण होता है, जो ॐ की प्रतिध्वनि बनाते हैं।
कैलाश मानसरोवर का महत्व| Kailash Mansarovar Importance
पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि यह स्थान कुबेर की नगरी था, जहां से गंगा नदी भगवान विष्णु के चरण कमलों से निकलकर कैलाश पर्वत की चोटी पर भयानक वेग से गिरती है। कहा जाता है कि यहां ही भगवान शिव उन्हें अपनी जटाओं में धारण किए हुए हैं और फिर मां गंगा निर्मल धारा का रूप ले नदी का रूप लेती हैं।
मान्यता है कि जो कोई मानसरोवर झील की धरती को छूता है, वह ब्रह्मा के बनाए स्वर्ग में जाता है, और जो कोई झील का पानी पीता है, वह शिव के बनाए स्वर्ग में जाता है।
महाभारत भी मानसरोवर का उल्लेख करता है। वहीं, कहा जाता है कि माता सीता ने इसी मानसरोवर से स्वर्ग चला था। कैलाश मानसरोवर को स्वयं शिव का पवित्र स्थान मानते हैं।
भगवान शिव को ज्यादातर शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है, लेकिन Kailash Mansarovar पर उनकी पूजा को “ॐ” कहा जाता है। यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव की कृपा से सरोवर का जलस्तर हमेशा स्थिर रहता है। साथ ही, इस मानसरोवर में बर्फ नहीं जमती, चाहे कितनी सर्दी पड़ जाए। दूसरे सरोवर, जिसे राक्षसी ताल कहते हैं, का पानी बगल में जम जाता है।
मान्यता यह भी है कि भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए 33 कोटि देवी-देवता कैलाश पर्वत आते हैं और सरोवर में स्नान भी करते हैं। यही कारण है कि इस सरोवर का जल सदैव स्थिर रहता है और उसका रंग हर घंटे बदलता रहता है।
For More English News: http://newz24india.in