धर्म

सावन में शिवलिंग पर तीन पत्तों वाला बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है?

सावन में शिवलिंग पर तीन पत्तों वाला बेलपत्र चढ़ाना क्यों शुभ होता है? जानिए इसके पीछे की धार्मिक मान्यता, फायदे और सही विधि।

तीन पत्तों वाला बेलपत्र: सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। पर क्या आपने कभी गौर किया है कि शिवजी पर केवल तीन पत्तों वाला बेलपत्र ही क्यों चढ़ाया जाता है? इसके पीछे सिर्फ परंपरा ही नहीं, बल्कि गहरी धार्मिक आस्था और मान्यता भी जुड़ी हुई है।

सावन सोमवार 2025 की तिथि और महत्व

सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई को बीत चुका है और अगला सोमवार व्रत 21 जुलाई 2025 को पड़ेगा। इस दिन शिव भक्त व्रत रखते हैं, जलाभिषेक करते हैं और बेलपत्र, दूध, दही, शहद, चंदन, धतूरा और सफेद फूल अर्पित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

तीन पत्तों वाला बेलपत्र का महत्व क्या है?

बेलपत्र, जिसे बेलपत्रम भी कहा जाता है, भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। लेकिन विशेष रूप से तीन पत्तों वाला बेलपत्र ही शिवलिंग पर चढ़ाने की परंपरा है। जानिए इसके पीछे की धार्मिक मान्यताएं:

1. त्रिनेत्र का प्रतीक

भगवान शिव के तीनों नेत्र – सूर्य, चंद्र और अग्नि – को दर्शाता है बेलपत्र के तीन पत्तों का स्वरूप।

2. त्रिदेवों का स्वरूप

तीन पत्तों को ब्रह्मा, विष्णु और महेश – त्रिदेवों का प्रतीक भी माना जाता है।

3. समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा संबंध

जब भगवान शिव ने विषपान किया था, तब उन्हें शीतलता देने के लिए बेलपत्र अर्पित किया गया था। तभी से यह शिव पूजा का अभिन्न हिस्सा बन गया।

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का सही तरीका

अगर आप सावन में बेलपत्र अर्पित कर रहे हैं, तो इन बातों का ध्यान अवश्य रखें:

  • बेलपत्र साफ-सुथरे हों, कटे-फटे ना हों।
  • बेलपत्र की डंडी वाली दिशा आपकी ओर होनी चाहिए।
  • बेलपत्र चढ़ाते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करते रहें।
  • इसे सुबह पूजा के समय अर्पित करना सबसे शुभ माना गया है।

बेलपत्र चढ़ाने के लाभ

  • मानसिक शांति और एकाग्रता मिलती है

  • पापों का नाश होता है

  • घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है

  • विशेष रूप से संतान सुख और समृद्धि की प्राप्ति के लिए कारगर है

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