उत्तर प्रदेशराज्य

यूपी में बिजली निजीकरण विरोध: 21 जुलाई जनसुनवाई को लेकर छात्र और कर्मचारी करेंगे प्रदर्शन

यूपी में बिजली निजीकरण विरोध: यूपी में बिजली निजीकरण का विरोध तेज़, कर्मचारी–उपभोक्ता परिषद मिलकर 21 जुलाई की जनसुनवाई में प्रदर्शन करेंगे; बिजली दरों में 28–45% तक बढ़ोतरी प्रस्तावित

यूपी में बिजली निजीकरण विरोध: उत्तर प्रदेश में बिजली निगम के निजीकरण को लेकर विरोध की आग बढ़ती जा रही है। पूर्वांचल और दक्षिणांचल क्षेत्रीय विद्युत वितरण निगम के निजीकरण पर कर्मचारी संगठनों, उपभोक्ताओं और किसानों ने पहले ही तेज प्रतिक्रिया दिखाई है। अब 21 जुलाई को लखनऊ में होने वाली जनसुनवाई को भी कर्मचारी और उपभोक्ता परिषद विरोध के मूड में हैं।

बिजली दरों में प्रस्तावित वृद्धि पर तीखा विवाद

पावर निगम द्वारा विद्युत नियामक आयोग को लगभग ₹1.13 लाख करोड़ वार्षिक राजस्व की मांग प्रस्तुत की गई है। इसमें सरकारी सब्सिडी ₹17 511 करोड़ है। इसके अतिरिक्त, इस वर्ष ₹86 952 करोड़ खरीद लागत आएगी। जबकि कुल घाटा लगभग ₹24 022 करोड़ प्रस्तावित है, जिससे दरों में औसतन 28 % वृद्धि और घरेलू उपभोग दरों में 45 % तक की वृद्धि संभव है।

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कर्मियों का कहना: स्मार्ट मीटर एवं डिजिटल हाजिरी नुकसानदेह

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का आरोप है कि निगम मनमानी कार्रवाई कर रहा है:

  • उनके घरों पर रियायती बिजली की सुविधा बंद कर स्मार्ट मीटर लगाया जा रहा है।

  • डिजिटल हाजिरी का बहाना बनाकर करीब 6,000 कर्मचारियों की जून माह की तनख्वाह रोक दी गई है।

 उपभोक्ता परिषद ने भी निजीकरण व दर वृद्धि पर जताया विरोध

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने स्पष्ट किया है कि सरकार को पहले ₹33 122 करोड़ उपभोक्ताओं का बकाया वापस करना चाहिए। “जब तक बकाया वापस नहीं मिलेगा, बिजली दरें बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।” उन्होंने निजीकरण को तत्काल रद्द करने की मांग भी की है।

अब क्या होगा अगला कदम?

21 जुलाई को लखनऊ में आयोजित होने वाली जनसुनवाई में कर्मचारी और उपभोक्ता परिषद दोनों तरह से विरोध की तैयारी कर रहे हैं। बिजली नियामक आयोग की सुनवाई के दौरान जनता की आवाज सामने आने की उम्मीड़ है, खासकर निजीकरण रद्द करने और दर वृद्धि रोकने को लेकर।

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