
दिल्ली भाषा शिक्षा प्रस्ताव: दिल्ली सरकार ने भाषा शिक्षा में नए प्रस्ताव के तहत छात्रों को अन्य राज्यों की भाषाएं सिखाने की योजना बनाई है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने ‘विविधता में एकता’ को मजबूत करने के लिए इस पहल की घोषणा की है।
दिल्ली भाषा शिक्षा प्रस्ताव: देश के भाषाई विवादों के बीच दिल्ली सरकार ने भाषा शिक्षा को लेकर एक नया और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। महाराष्ट्र में हिंदी और मराठी भाषा विवाद थमने के बावजूद राज्य में यह मुद्दा गरमाया हुआ है, वहीं दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने एक प्रस्ताव रखा है, जो पूरे देश में ‘विविधता में एकता’ को मजबूत करेगा।
महाराष्ट्र में भाषा विवाद के बीच दिल्ली का कदम
महाराष्ट्र सरकार द्वारा स्कूलों में हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने के फैसले के बाद मराठी और हिंदी भाषाओं के बीच विवाद शुरू हुआ था। विवाद बढ़ने पर महाराष्ट्र सरकार ने आदेश वापस ले लिया, लेकिन यह मुद्दा वहां अभी भी चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं, दिल्ली सरकार ने इस विवाद से अलग अपनी नीति का प्रस्ताव रखा है।
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दिल्ली में भाषाई समझ और सद्भाव बढ़ाने का प्रयास
दिल्ली भाषा शिक्षा प्रस्ताव: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने यह प्रस्ताव रखा है कि राजधानी में बच्चों को हिंदी के साथ-साथ अन्य राज्यों की भाषाएं भी सिखाई जाएंगी। इससे बच्चों को देश की सांस्कृतिक और सामाजिक विविधता को समझने में मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इस दिशा में विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश भी दिए हैं।
‘विविधता में एकता’ को बढ़ावा- दिल्ली भाषा शिक्षा प्रस्ताव
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का कहना है कि भारत की विविध भाषाई संस्कृति को सम्मान देने के लिए इस पहल से देश की एकता और भी मजबूत होगी। दिल्ली सरकार कला, संस्कृति और भाषा विभाग के सहयोग से इस योजना को लागू करने की तैयारी कर रही है।
भारतीय भाषाओं का संवैधानिक महत्व
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार हिंदी को भारत संघ की राजभाषा माना गया है। इसके अलावा, संविधान की आठवीं अनुसूची में कुल 22 भाषाओं को मान्यता प्राप्त है, जिन्हें आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त है। दिल्ली सरकार की यह नई पहल इन्हीं भाषाओं के प्रचार-प्रसार और संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
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