मनीष सिसोदिया ने “दुनिया की शिक्षा व्यवस्था और भारत” वीडियो सीरीज शुरू की है, जिसका उद्देश्य लोगों को शिक्षा के महत्व के प्रति जागरूक करना और बदलाव की सोच पैदा करना है।
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहल करते हुए “दुनिया की शिक्षा व्यवस्था और भारत” नामक वीडियो सीरीज की शुरुआत की है। इस सीरीज का उद्देश्य देश के नागरिकों को शिक्षा के महत्व के प्रति जागरूक करना और उन्हें ऐसी सोच वाले नेताओं को चुनने के लिए प्रेरित करना है, जो शिक्षा को प्राथमिकता देते हों।
शिक्षा को लेकर जागरूकता फैलाने का प्रयास
मनीष सिसोदिया ने बताया कि यह वीडियो सीरीज आम जनता को यह सोचने पर मजबूर करेगी कि बच्चों को जिस प्रकार की शिक्षा की आवश्यकता है, उसके लिए उन्हें कैसे नेताओं का चयन करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत तब बदलेगा, जब शिक्षा व्यवस्था बदलेगी – और शिक्षा व्यवस्था तब बदलेगी, जब हमारे नेता शिक्षा को लेकर गंभीर होंगे।
पहले एपिसोड में पांच देशों की शिक्षा प्रणाली का विश्लेषण
सीरीज के पहले एपिसोड में सिसोदिया ने जापान, सिंगापुर, चीन, कनाडा और फिनलैंड जैसे देशों की शिक्षा प्रणालियों की चर्चा की है। उन्होंने बताया कि कैसे ये देश शिक्षा को प्राथमिकता देकर विकसित राष्ट्र बन पाए। विशेष रूप से सिंगापुर का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यह देश भारत की स्वतंत्रता के 18 साल बाद आजाद हुआ, फिर भी आज यह विश्व के सबसे समृद्ध देशों में शामिल है – और इसका श्रेय शिक्षा को ही जाता है।
“अगर सोच नहीं बदले, तो नेता बदल दो”- मनीष सिसोदिया
सिसोदिया ने दो टूक कहा कि जब तक नेताओं की सोच नहीं बदलेगी, तब तक भारत की शिक्षा व्यवस्था में सुधार संभव नहीं है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे शिक्षा को चुनावी मुद्दा बनाएं और ऐसे नेताओं को चुनें जो शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।
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एआई चैट से मिली प्रेरणा
मनीष सिसोदिया ने यह भी साझा किया कि कुछ समय पहले उनकी एक एआई चैटबॉट “Grak” के साथ दिलचस्प बातचीत हुई थी, जिसमें लाखों लोगों ने भाग लिया और दुनिया की शिक्षा प्रणालियों को लेकर सवाल पूछे। इसी से प्रेरित होकर यह वीडियो सीरीज शुरू की गई है।
क्या भारत की शिक्षा दुनिया के मुकाबले खड़ी उतरती है?
वीडियो सीरीज का केंद्रीय सवाल यही है – क्या भारत की शिक्षा प्रणाली वैश्विक मानकों पर खरी उतरती है? और यदि नहीं, तो उसमें क्या सुधार होने चाहिए? यह सीरीज इन्हीं मुद्दों पर केंद्रित है और आने वाले एपिसोड्स में और गहराई से विश्लेषण किया जाएगा।
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