OpenAI ने लॉन्च किए दो नए ओपन AI मॉडल: GPT OSS-120B और GPT OSS-20B, जानें इनकी खूबियां
OpenAI ने GPT OSS-120B और GPT OSS-20B लॉन्च किए हैं। जानें इन ओपन-सोर्स मॉडल्स की खासियत, बेंचमार्क स्कोर और GPT-5 से तुलना।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में अग्रणी कंपनी OpenAI ने GPT-5 के बहुप्रतीक्षित लॉन्च से पहले दो नए ओपन-वेट मॉडल GPT OSS-120B और GPT OSS-20B को पेश किया है। ये दोनों मॉडल Hugging Face प्लेटफॉर्म पर Apache 2.0 लाइसेंस के अंतर्गत फ्री में डाउनलोड के लिए उपलब्ध हैं।
यह OpenAI का GPT-2 के बाद पहला सार्वजनिक (ओपन-सोर्स) रिलीज़ है, जो डेवलपर्स, शोधकर्ताओं और एंटरप्राइज उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध कराया गया है।
क्या है GPT OSS-120B और GPT OSS-20B में खास?
OpenAI ने जानकारी दी है कि GPT OSS-120B को सिंगल Nvidia GPU पर रन करने के लिए तैयार किया गया है, जबकि GPT OSS-20B को कंज्यूमर ग्रेड लैपटॉप्स (16GB RAM तक) पर उपयोग करने के लिए डिजाइन किया गया है।
दोनों मॉडल्स को विशेष रूप से एजेंट-स्टाइल टास्क और एडवांस रिजनिंग वर्कफ्लोज़ को सपोर्ट करने के लिए तैयार किया गया है। हालांकि, ये मॉडल जटिल डेटा प्रोसेसिंग या इमेज एनालिसिस में सक्षम नहीं हैं, लेकिन Cloud API के माध्यम से यह OpenAI के अन्य पावरफुल मॉडल्स से प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर सकते हैं।
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प्रोग्रामिंग बेंचमार्क में प्रदर्शन
OpenAI का दावा है कि इन दोनों मॉडलों ने ओपन-वेट AI मॉडल्स के क्षेत्र में नया स्टैंडर्ड स्थापित किया है। कोडफोर्स जैसे प्रोग्रामिंग बेंचमार्क प्लेटफॉर्म पर:
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GPT OSS-20B ने 2622 पॉइंट्स
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GPT-OSS-20B ने 2516 पॉइंट्स प्राप्त किए
हालांकि ये प्रदर्शन DeepSeek R1 मॉडल से बेहतर रहा, लेकिन फिर भी OpenAI के अपने o3 और o4-mini जैसे मॉडल्स से पीछे रहा।
फैक्चुअल सटीकता पर चिंता
TechCrunch की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन मॉडलों में हलूसिनेशन यानी गलत उत्तर देने की समस्या अभी भी गंभीर बनी हुई है:
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GPT-OSS-120B ने 49% मामलों में गलत उत्तर दिए
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GPT-OSS-20B ने 53% मामलों में तथ्यात्मक त्रुटियां कीं
यह दर OpenAI के पुराने o1 मॉडल की 16% हलूसिनेशन दर की तुलना में काफी अधिक है। यहां तक कि o4-mini, जो 36% की दर रखता है, उससे भी यह अधिक है।
GPT-5 से पहले क्यों लॉन्च हुए ये मॉडल?
OpenAI के इस कदम को GPT-5 के लॉन्च से पहले ओपन-सोर्स AI कम्युनिटी के विश्वास को मजबूत करने के रूप में देखा जा रहा है। यह कदम उन डेवलपर्स और शोधकर्ताओं को सशक्त बनाता है जो सीमित संसाधनों में भी एआई तकनीक का उपयोग करना चाहते हैं।
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