पंजाब के किसानों ने आगामी 25 अगस्त को दिल्ली में किसान महापंचायत करने का बड़ा ऐलान कर दिया है। यह महापंचायत उन अधूरी मांगों को लेकर की जा रही है, जिन पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। भारतीय किसान यूनियन एकता सिद्धूपुर के वरिष्ठ नेता रेशम सिंह यात्री ने बताया कि 2020 में किसानों के दिल्ली आंदोलन के दौरान उठाई गई प्रमुख मांगें, जैसे तीन काले कानूनों को रद्द करना, एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) गारंटी कानून लागू करना, कर्ज माफी, डॉ. स्वामीनाथ की रिपोर्ट को लागू करना आदि अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं हुई हैं।
केंद्र सरकार की इन मांगों को टालने और हरियाणा सरकार द्वारा खनौरी बॉर्डर पर किसानों को जबरन बैरिकेडिंग कर घेरने के विरोध में किसानों ने इस बार दिल्ली में महापंचायत का आयोजन किया है। इस आंदोलन के जरिए किसान अपनी आवाज़ को मजबूत करते हुए केंद्र सरकार के अहंकार को तोड़ने और अपनी मांगों को पूरा कराने का दबाव बनाएंगे।
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किसान नेताओं का कहना है कि 24 अगस्त को पंजाब सहित देश के विभिन्न हिस्सों से किसानों का काफिला दिल्ली के लिए रवाना होगा। 25 अगस्त को दिल्ली के जंतर-मंतर पर हजारों किसान अपनी लंबित मांगों को लेकर महापंचायत करेंगे। इस दौरान किसानों द्वारा एमएसपी गारंटी कानून को लागू कराने, कर्ज माफी, आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज पर्चे वापस लेने, और लखीमपुर खीरी केस के दोषियों को सजा दिलाने जैसे मुद्दों पर जोर दिया जाएगा।
पंजाब सरकार और केंद्र के बीच किसानों के मुद्दों पर कई बार बातचीत हुई, लेकिन समाधान नहीं निकला है। किसानों का कहना है कि इस बार वे अपने अधिकारों के लिए पूरी ताकत से लड़ेंगे और उनकी कोई भी मांग अधूरी नहीं रहेगी।
यह महापंचायत पंजाब और पूरे भारत के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगी, जो कृषि कानूनों के विरोध और किसानों के अधिकारों की रक्षा में एक नया अध्याय जोड़ने वाली है।
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