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Hartalika Teej 2025: हरतालिका तीज पर फुलेरा क्यों बांधा जाता है? जानें

Hartalika Teej 2025: हरतालिका तीज पर फुलेरा का विशेष महत्व है। जानिए किन फूलों और पत्तियों से बनाया जाता है फुलेरा क्या है और इसका धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व क्या है।

हरतालिका तीज पर फुलेरा क्यों बांधा जाता है? हिंदू धर्म में हरतालिका तीज व्रत का विशेष महत्व है, खासकर सुहागिन महिलाओं के लिए। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा विधिपूर्वक की जाती है। व्रत के दौरान कई परंपराएं निभाई जाती हैं, लेकिन एक खास परंपरा है – फुलेरा बांधना। यह फूलों और पत्तियों से बना पवित्र मंडप न केवल पूजा का अहम हिस्सा होता है, बल्कि दांपत्य जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है।

फुलेरा क्या है और क्यों है खास?

हरतालिका तीज पर फुलेरा एक विशेष प्रकार की सजावट होती है, जो फूलों और पत्तियों की पांच लड़ियों से मिलकर बनती है। इसे भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा या शिवलिंग के ऊपर सजाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह फुलेरा भगवान शिव की पांच पवित्र कन्याओं – जया, विषहरा, शामिलबारी, देव और दोतली का प्रतीक होता है।

हरतालिका तीज पर फुलेरा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्रमुख फूल

  1. गेंदे के फूल (पीले और नारंगी) – शुभता और मंगल का प्रतीक

  2. गुलाब – प्रेम, श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक

  3. चंपा – सुंदरता और दिव्यता का प्रतीक

  4. चमेली/मोगरा – पवित्रता और शांति का संकेत

  5. कमल – समृद्धि और देवी लक्ष्मी की कृपा का प्रतीक

इन पांच फूलों से बनी लड़ियां फुलेरे को सौंदर्य और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देती हैं।

फुलेरा में उपयोग की जाने वाली पवित्र पत्तियां

  1. आम की पत्तियां – लंबी आयु और सुख-शांति का संकेत

  2. अशोक की पत्तियां – सौभाग्य और तनाव-मुक्त जीवन का प्रतीक

  3. केले के पत्ते – मंडप की सजावट और स्थिरता का प्रतीक

  4. बांस – शक्ति, मजबूती और परंपरा का प्रतीक

इन पत्तियों को फूलों के साथ मिलाकर एक दिव्य और शुद्ध वातावरण तैयार किया जाता है, जिससे पूजा पूर्ण मानी जाती है।

हरतालिका तीज पर फुलेरा का धार्मिक महत्व

फुलेरा केवल सजावट नहीं, बल्कि आस्था, श्रद्धा और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है। माना जाता है कि हरतालिका तीज पर यदि विधिवत फुलेरा बांधा जाए और उसका दर्शन किया जाए, तो स्त्रियों को अखंड सौभाग्य और वैवाहिक जीवन में सुख की प्राप्ति होती है।

वातावरण की शुद्धता और आध्यात्मिक ऊर्जा

फूल और पत्तियां जहां वातावरण को शुद्ध करती हैं, वहीं इनकी सुगंध और दिव्यता मन को शांत करती है। यही कारण है कि फुलेरे में प्रयुक्त हर तत्व का गहरा प्रतीकात्मक अर्थ है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन को सफल और फलदायी बनाता है।

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