हरियाणा विधानसभा ने श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की 350वीं शहीदी जयंती के अवसर पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सर्वसम्मति से एक विशेष प्रस्ताव पारित किया। यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी द्वारा मानसून सत्र के दौरान प्रस्तुत किया गया। मुख्यमंत्री ने गुरु तेग बहादुर साहिब जी के सर्वोच्च बलिदान को याद करते हुए कहा कि वे न केवल नौवें सिख गुरु थे, बल्कि ‘हिंद की चादर’ के रूप में धार्मिक स्वतंत्रता और मानवता की रक्षा के प्रतीक थे।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि गुरु तेग बहादुर साहिब जी ने नवंबर 1675 में दिल्ली के चांदनी चौक में आस्था और अंतःकरण की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। उनके अनुयायियों भाई मती दास जी, भाई सती दास जी और भाई दयाला जी ने भी साहसपूर्वक शहादत दी। यह बलिदान उनके धर्म और निष्ठा का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि गुरु साहिब का हरियाणा से गहरा नाता रहा है, जहां उन्होंने कुरुक्षेत्र, पिहोवा, कैथल, जींद, अंबाला, चीका और रोहतक जैसे क्षेत्रों का दौरा किया और अपने सिख शिक्षाओं का संदेश दिया।
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सैनी ने भाई जैता जी की भूमिका को भी याद किया, जिन्होंने गुरु साहिब के शीश को दिल्ली से श्री आनंदपुर साहिब तक सुरक्षित पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस यात्रा के दौरान हरियाणा के बड़खालसा, करनाल और अम्बाला जैसे स्थानों से गुज़रते हुए उन्हें व्यापक समर्थन मिला। उन्होंने शहीद कुशाल सिंह दहिया जी को भी श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने मुगल सेना को भ्रमित कर गुरु साहिब के शीश की सुरक्षा सुनिश्चित की।
हरियाणा विधानसभा ने गुरु तेग बहादुर साहिब जी, भाई मती दास जी, भाई सती दास जी, भाई दयाला जी और कुशाल सिंह दहिया जी की शहादत को न केवल राष्ट्रीय इतिहास का गौरवशाली अध्याय माना, बल्कि अत्याचार के खिलाफ साहस और न्याय के प्रतीक के रूप में भी देखा। सदन ने प्रदेश के सभी नागरिकों से उनकी अमर शिक्षाओं को अपनाने और भाईचारे की भावना को बनाए रखने का आह्वान किया।
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