राज्यपंजाब

पंजाब सरकार ने बाढ़ के बाद पशुधन सुरक्षा के लिए व्यापक और समयबद्ध कार्य योजना लागू की

पंजाब सरकार ने बाढ़ प्रभावित पशुधन की सुरक्षा के लिए व्यापक कार्य योजना शुरू की है। 30 सितंबर तक मुफ्त HS वैक्सीन बूस्टर डोज, कीटाणुशोधन, फॉगिंग और आपातकालीन देखभाल के साथ पशुपालकों को राहत प्रदान की जाएगी।

पंजाब सरकार ने बाढ़ के विनाशकारी प्रभावों से प्रभावित पशुधन की सुरक्षा के लिए एक बहु-आयामी और समयबद्ध कार्य योजना लागू की है। पशुपालन, डेयरी विकास एवं मत्स्य पालन मंत्री एस. गुरमीत सिंह खुडियान के नेतृत्व में यह योजना 713 बाढ़ प्रभावित गांवों में लगभग 2.53 लाख पशुओं की रक्षा के लिए तैयार की गई है।

इस योजना के तहत, 30 सितंबर तक सभी अतिसंवेदनशील पशुओं को रक्तस्रावी सेप्टीसीमिया (एचएस) वैक्सीन की मुफ्त बूस्टर खुराक दी जाएगी। मंत्री खुडियान ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस अभियान में तेजी लाने और किसी भी पशु को इस टीकाकरण से वंचित न रहने दिया जाए।

बहु-आयामी अभियान में शामिल हैं:

  • बड़े पैमाने पर टीकाकरण: पशुओं को हेमरेजिक सेप्टिसीमिया, फुट-रोट, मास्टिटिस, टिक-जनित संक्रमण और अन्य जलजनित बीमारियों से बचाने के लिए व्यापक टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा।

  • कीटाणुशोधन और फॉगिंग: स्थानीय प्रशासन के सहयोग से पशु आश्रयों, भोजन क्षेत्र और जल स्रोतों की गहन सफाई व कीटाणुशोधन किया जाएगा।

  • आपातकालीन देखभाल और निगरानी: पशुपालन विभाग की टीमें गांव-गांव जाकर पशुओं की जांच, स्वास्थ्य निगरानी और उपचार सेवाएं प्रदान करेंगी।

  • पोषण आहार वितरण: स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से पशुओं के लिए सुरक्षित पेयजल, पोषण खनिज मिश्रण, दवाएं और साइलेज मुफ्त वितरित किया जाएगा।

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मंत्री एस. गुरमीत सिंह खुडियान का बयान:

“पशुधन हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। बाढ़ के इस संकट में हम अपने पशुपालकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। यह कार्य योजना सिर्फ राहत नहीं, बल्कि पशुधन स्वास्थ्य और उत्पादकता सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण मिशन है। हमारी पूरी पशु चिकित्सा मशीनरी मिशन मोड में लगी हुई है ताकि कोई पशु या किसान पीछे न रह जाए।”

प्रशासनिक निगरानी और पारदर्शिता:

पंजाब पशुपालन विभाग ने प्रभावित जिलों में विशेष बाढ़ पश्चात निगरानी दल गठित किया है। उप निदेशक और फील्ड स्टाफ नियमित रूप से अभियान की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहे हैं, साथ ही 20% साइटों की दैनिक औचक जांच सुनिश्चित की जा रही है।

स्थानीय पंचायतों और गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से सभी प्रभावित गांवों में जागरूकता और उपचार शिविर भी चलाए जा रहे हैं, ताकि सहायता सीधे पशुपालकों तक पहुंच सके।

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