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18 हजार शिक्षकों को बड़ी राहत: उत्तराखंड सरकार सुप्रीम कोर्ट के TET अनिवार्यता फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी

उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के टीईटी अनिवार्यता फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का निर्णय लिया है। इससे प्रदेश के 18 हजार शिक्षकों को बड़ी राहत मिलेगी और उनकी नौकरी एवं पदोन्नति सुरक्षित रहेगी।

उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के टीईटी (टीचिंग एलिजिबिलिटी टेस्ट) अनिवार्यता फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला किया है। इस फैसले में कोर्ट ने 1 सितंबर 2025 तक उन शिक्षकों के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य कर दिया था, जिनकी सेवा पांच वर्ष से अधिक शेष है। इस आदेश से प्रदेश के लगभग 18 हजार प्राथमिक, माध्यमिक और जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों की नौकरी और पदोन्नति पर संकट आ गया था।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का शिक्षकों पर प्रभाव

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला खासतौर पर उन शिक्षकों को प्रभावित कर रहा है, जिनकी नियुक्ति वर्ष 2011 से पहले हुई थी, जबकि उत्तराखंड में टीईटी की अनिवार्यता 2011 से लागू है। ऐसे में शिक्षक संगठन और शिक्षक इस फैसले के खिलाफ हैं, क्योंकि उनके अनुसार जब उनके समय टीईटी अनिवार्य नहीं था, तो उन्हें यह परीक्षा कैसे पास करनी होगी।

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18 हजार शिक्षक और 300 शिक्षा मित्र बिना टीईटी

प्रदेश में करीब 18 हजार नियमित शिक्षक और 300 शिक्षा मित्र बिना टीईटी के सेवा में हैं। यह फैसला इनके भविष्य के लिए चिंता का विषय बन गया था। इन शिक्षकों के लिए यह निर्णय राहत भरा साबित होगा क्योंकि सरकार ने इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का निर्णय लेकर उनकी चिंता को प्राथमिकता दी है।

धामी कैबिनेट ने प्रस्ताव को दी मंजूरी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस पुनर्विचार याचिका के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। सरकार का मानना है कि यह निर्णय शिक्षकों के हित में होगा और शिक्षा क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखेगा।

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